Heat Stroke: भारत की लगभग आधी आबादी लू के थपेड़ों में झुलसती है. रिपोर्ट के मुताबिक भीषण गर्मी में काम करने से लोगों की सेहत से लेकर कमाई का भी भारी नुकसान होता है. देश में गर्मी की वजह से कई लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं.
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पूजा मक्कड़/नई दिल्ली: देश के कई राज्यों में इन दिनों प्रचंड गर्मी का प्रकोप है. जून के महीने में गर्मी की वजह से यूपी में 55 और बिहार में 44 लोगों की जान चली गई है. पीरीयोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक भारत में औसतन 49% लोग बाहर यानी खुले आसमान के नीचे काम करते हैं. इस तरह काम करने वाले लोगों की सेहत और कार्य क्षमता दोनों ही प्रभावित होती हैं.
वर्ल्ड बैंक (World Bank) की पिछले वर्ष नवंबर में जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2030 तक तेज गर्मी यानी हीटवेव की वजह से 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना काम छोड़ना पड़ जाएगा. 20 करोड़ लोग गर्मी से बुरी तरह प्रभावित होंगे. खेती और मजदूरी के काम में लगे लोगों पर इसका सबसे बुरा असर होगा.
गर्मी में पसीने और घबराहट की वजह से काम करने की क्षमता कम हो जाती है. लगातार धूप में काम करने से इंसान के शरीर का औसत तापमान बढ़ जाता है, जिसकी वजह से पेट खराब होता है और दिमाग पर भी बुरा असर पड़ने का खतरा रहता है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से साल 1901 से 2018 के बीच भारत में औसत तापमान में लगभग 0.7% की वृद्धि हुई है. लगभग एक प्रतिशत तापमान भारत में बढ़ चुका है.
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गर्मी एक वार्षिक बीमारी है, जिसका सबसे ज्यादा असर तेज धूप में काम करने वाले मजदूर या खेतिहर वर्ग पर होता है. भारत में कामगार वर्ग यानी लेबर फोर्स कुल 90 प्रतिशत है. देश में जितने लोग पैसा कमा रहे हैं, उसमें से 90 प्रतिशत नौकरी करते हैं. इस 90 प्रतिशत में से 49 प्रतिशत यानी आधे से भी ज्यादा लोग बाहर काम करते हैं, उसमें भी सबसे बड़ा हिस्सा किसान है और बाकी छोटे-मोटे काम करने वाले लोग है. यह लोग अगर काम न करें तो रोज की रोटी का संकट पैदा हो जाता है.
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