झांसी में खाद न मिलने से किसानों ने की नारेबाजी, कहा : अक्सर बंद रहता है गोदाम
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झांसी में खाद न मिलने से किसानों ने की नारेबाजी, कहा : अक्सर बंद रहता है गोदाम

खाद की किल्लत अब किसानों के सामने चुनौती बन रही है. झांसी में खाद न मिलने से परेशान किसान गोदाम के सामने विरोध प्रदर्शन को मजबूर हैं.

 

झांसी में खाद न मिलने से किसानों ने की नारेबाजी, कहा : अक्सर बंद रहता है गोदाम

झांसी/अब्दुल सत्तार : मऊरानीपुर तहसील क्षेत्र के कई गांव के किसानों ने पीसीएफ गोदाम पर यूरिया खाद न मिलने से परेशान होकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी किसान खाद को हासिल करने के लिए सुबह चार बजे से कड़कड़ाती ठंड में लंबी लंबी लाइन लगाकर गोदाम पर खडे हो जाते हैं. लेकिन उन्हें खाद नहीं मिलती है. रविवार के दिन सुबह 4 बजे से लाइन में खड़े किसानों का गुस्सा तब फूटा जब पीसीएफ केंद्र नहीं खुला तो फिर आक्रोशित किसानों ने जमकर प्रदर्शन कर जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की है. प्रदर्शनकारी किसानों ने बताया कि खाद न मिलने से खेती खराब हो सकती हैं और खाद लेने के लिये वे कई दिनों से चक्कर काट रहे है.

ग्राम वीरा निवासी किसान बृज कुमार पाल ने बताया कि जैसे तैसे डीएपी खाद हमें मिली तो हमने अपनी फसल खेत में वो पाई थी. फिर जैसे फसल में पानी लगने का टाइम आया और हमें यूरिया खाद की जरूरत पड़ी जिसको लेने के लिए लगातार खाद के गोदाम के चक्कर काट रहे हैं. रोज की तरह आज भी खाद लेने के आए लेकिन यहां खाद गोदाम में ताला लगा मिला. पांच दिन से लगातार चक्कर काट रहे हैं लेकिन खाद नहीं मिल पा रही है. 

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किसान नेता शिवनारायण ने बताया कि रविवार को भी पीसीएस के गोदाम में ताला डला है. किसानों के खेत सूख रहे हैं. वहीं खेतों की सिंचाई हो गई रवी की फसल में यूरिया का छिड़काव होना है और जिला प्रशासन नींद में सो रहा है. खाद बीज किसानों का खेत समय का होता है. समय पर खाद, बीज और पानी नहीं मिला तो किसान बर्बाद हो जाएगा. यहां किसान खाद लेने के लिए सुबह चार बजे से ऐसी कड़कड़ाती ठंड में लेटा हुआ है. लेकिन कोई यहां सुध लेने वाला नहीं है. किसान अपने खेतों की रखवाली करे कि खाद के लिए पीसीएफ की लाइन में लगे हैं और लगातार एक महीने से खाद की किल्लत के चलते किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों को परेशान कर दिया है. हाड़ तोड़ मेहनत कर खेतों में महंगी लागत लगाकर फसल तैयार कि लेकिन अब यूरिया न मिलने से किसानों की मेहनत बेकार होती नजर आ रही है.

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