सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी वापस लेने पर धामी सरकार ने यू टर्न ले लिया है. उत्तराखंड सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में लगाई गई एसएलपी को बरकार रखने का निर्णय लिया है. पढ़ें क्या है इस निर्णय के पीछे की सियासी वजह
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देहरादून: उत्तराखंड बनाम उमेश शर्मा मामले में धामी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी वापस लेने पर धामी सरकार ने यू टर्न ले लिया है. धामी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में लगाई गई एसएलपी को यथावत रखने का निर्णय लिया है. बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी के बाद धामी सरकार ने यह निर्णय लिया है. उमेश के खिलाफ राजद्रोह के मामले में एसएलपी वापस लेने के फैसले के बाद सरकार घिर गई थी . इसी क्रम में एसएलपी वापस लेने के आदेश को निरस्त कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पार्टी नेतृत्व से नाराजगी जताई थी. ऐसे में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी मामले को गम्भीरता से लिया. इसी कड़ी में धामी सरकार ने एसएलपी वापस लेने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि तीन दिन से त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.
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उमेश शर्मा ने 2016 में झारखंड के 'गौ सेवा आयोग' के अध्यक्ष पद पर एक शख्स की नियुक्ति में सिफारिश के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत आर्थिक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. आरोप लगाया गया था कि इसके लिए रकम उनके रिश्तेदारों के खातों में भी भेजी गई थी. उस समय त्रिवेंद्र सिंह भाजपा के झारखंड प्रभारी थे. इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने जुलाई में उमेश शर्मा के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज कराया था. इस एफआईआर को खारिज करवाने के लिए उमेश ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय का रुख किया था.