High Court News: दोषसिद्ध व्यक्ति को भी शिक्षा हासिल करने का है अधिकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
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High Court News: दोषसिद्ध व्यक्ति को भी शिक्षा हासिल करने का है अधिकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएमयू के लॉ छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि दोषसिद्ध व्यक्ति को भी शिक्षा हासिल करने का अधिकार है. कोर्ट ने विश्विद्यालय प्रशासन से पढ़ाई पूरी करने देने पर जानकारी तलब की

High Court News: दोषसिद्ध व्यक्ति को भी शिक्षा हासिल करने का है अधिकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: जेल में बंद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि छात्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने विधि छात्र के विश्विद्यालय से निष्कासन के बाद परीक्षा से वंचित करने के फैसले को सही नहीं माना है, कोर्ट ने कहा है कि, सजा सुधारात्मक होनी चाहिए, जिससे व्यक्ति सामाजिक जीवन की मुख्यधारा में लौट सके.

AMU के निष्कासित विधि छात्र की याचिका पर सुनवाई कर दिया आदेश 
हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय कानून प्रणाली के तहत एक दोष सिद्ध व्यक्ति को भी पढ़ाई करने और जेल से परीक्षा में शामिल होने का अधिकार है. ताकि, वह समाज की मुख्यधारा से जुड सके. हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के निष्कासित विधि छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए छात्र को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बीए-एलएलबी पाठ्यक्रम पूरा करने की अनुमति नहीं देने के फैसले को गलत करार दिया है. जस्टिस नीरज तिवारी की एकलपीठ ने छात्र आदिल खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. 

याची ने अनुशासित रहने और अच्छा आचरण बनाए रखने का दिया हलफनामा
बता दें, विधि छात्र आदिल खान ने लॉ सातवें सेमेस्टर की परीक्षा दी. लेकिन परिणाम घोषित नहीं किया गया  और इसी बीच उसे अनुशासनहीनता के आरोप में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पांच साल की अवधि के लिए निष्कासित कर दिया गया. याची ने हाईकोर्ट में अनुशासित रहने और अच्छे आचरण को बनाए रखने के वायदे के साथ हलफनामा दिया. कहा नियमों का पालन करेगा और विश्वविद्यालय परिसर और बाहर शांति, सद्भाव और पूर्ण अनुशासन बनाए रखेगा. 

विधि छात्र ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष भी ऐसा ही हलफनामा दिया था. लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने निष्कासन आदेश को रद्द करने से इंकार कर दिया. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तर्क दिया गया कि याची के खिलाफ दो आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. इसे देखते हुए न्यायालय ने कहा कि याची अभी तक दोषी सिद्ध नहीं हुआ है.

11 अगस्त को होगी मामले की अगली सुनवाई 
याचिकाकर्ता को अपने बीए एलएलबी पाठ्यक्रम को पूरा करने से इंकार करने से उसका करियर बर्बाद हो सकता है. निश्चित रूप से याचिकाकर्ता एक युवा छात्र है और उसे खुद को सही करने और जीवन का सही रास्ता चुनने का मौका दिया जाना चाहिए. मामले में याचिका पर 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.

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