Azadi Ka Amrit Mahotsav: जानें आजादी के बाद कितनी बार बदला तिरंगा, कुछ ऐसी रही है देश के राष्ट्रीय ध्वज की यात्रा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1290770

Azadi Ka Amrit Mahotsav: जानें आजादी के बाद कितनी बार बदला तिरंगा, कुछ ऐसी रही है देश के राष्ट्रीय ध्वज की यात्रा

Independence Day 2022: भारत के राष्ट्रीय ध्वज में 1906 से 1947 तक किस तरह आए बदलाव… कुछ ऐसी रही है आजादी से अब तक की देश के तिरंगे यात्रा.....

 

 

Azadi Ka Amrit Mahotsav: जानें आजादी के बाद कितनी बार बदला तिरंगा, कुछ ऐसी रही है देश के राष्ट्रीय ध्वज की यात्रा

Happy Independence Day 2021: आगामी 15 अगस्त को हिन्दुस्तान आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा हैं. इस दिन देश भर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और पूरा देश इस दिन हाथों में तिरंगा लिए जश्न मनाएगा. आजादी मिलने के पहले से लेकर अब तक तिरंगा कुल 6 बार बदला जा चुका है. मौजूदा तिरंगा का ये छठवां रूप है. भारत में तिरंगे का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है. इस लेख में हम जानेंगे की कब-कब तिरंगे में बदलाव हुए. 

पिंगली वैंकैयानंद ने की थी ध्वज की परिकल्पना

इस ध्वज की परिकल्पना पिंगली वैंकैयानंद ने की थी. इसे इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पहले ही आयोजित की गई थी. इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया.

भारत का तिरंगा
हमारे राष्ट्रीय ध्वज बनने में इस तिरंगे ने काफी लंबी यात्रा की है. साथ ही यह इस तिरंगे में भी काफी परिवर्तन भी हुए. आजाद भारत में तो इसे ही राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया, लेकिन अंग्रेजों के वक्त अलग तिरंगे फहराए गए थे. करीब 5 अलग-अलग तिरंगों के बाद ये झंडा डिजाइन किया गया है, जो आज भारत देश का प्रतीक है. 

पहले अलग था तिरंगा?
हमारा राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा. एक रूप से यह राष्ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है. हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव भी आए. ऐसे में जानते हैं पहले किसे भारत का झंडा माना गया.

1906 में बना पहला राष्ट्रीय ध्वज
पहला राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था. जिसे अब कोलकाता कहते हैं. इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था. साथ ही इसमें कमल के फूल और चांद-सूरज भी बने थे.

fallback

1907 में बना दूसरा राष्ट्रीय ध्वज
भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज अधिक समय तक नहीं रहा और भारत को अगले ही साल नया राष्ट्र ध्वज मिल गया.  दूसरा राष्ट्रीय ध्वज पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था. हालांकि, कई लोगों का कहना है कि यह घटना 1905 में हुई थी. यह भी पहले ध्‍वज के जैसा ही था. इस राष्ट्रध्वज में भी चांद सितारे आदि मौजूद था. साथ ही इसमें तीन रंग केसरिया, हरा और पीला शामिल था. बाद में इसे एक सम्मलेन के दौरान बर्लिन में भी फहराया गया था.

fallback

1917 में तीसरा राष्ट्रीय झंडा
तीसरा झंडा, 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया. डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया. इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने 7 सितारे थे. वहीं, बांई और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था. एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.

fallback

1921 में चौथा राष्ट्रीय ध्वज
चौथा ध्वज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया. यह कार्यक्रम साल 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया था. यह दो रंगों का बना हुआ था. लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है. गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए.

fallback

1931 में पांचवा राष्ट्रीय ध्वज
1921 में निर्मित भारत का चौथा राष्ट्र ध्वज 10 सालों तक अस्तित्व में रहा. 1931 में हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्रध्वज मिला. चौथे राष्ट्रध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखा का महत्वपूर्ण स्थान रहा. हालांकि रंगों में इस बार हेर-फेर हुआ. चरखा के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम रहा. इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था.

fallback

1947 को छठवां राष्ट्रीय ध्वज
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया. स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा. केवल ध्‍वज में चलते हुए चरखे के स्‍थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया. इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना. इस तिरंगे का जन्म 22 जुलाई 1947 को हुआ था. बाद में भारत की आजादी में इस तिरंगे ने अपना सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा किया. 

fallback

अभी ऐसा है तिरंगा
भारतीय का राष्‍ट्रीय झंडे में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं. झंडे की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है. सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का एक चक्र है. यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है. इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है.

पर्यटकों का प्रवेश मुफ्त रहेगा
आगामी पांच अगस्त से 15 अगस्त तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सभी स्मारकों में पर्यटकों का प्रवेश मुफ्त रहेगा.आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव के तहत भारत सरकार ने यह फैसला लिया है. जिसके आधार पर एएसआइ से इस बारे में आदेश जारी किया है. स्वतंत्रता दिवस को लेकर लालकिले में चल रहीं तैयारियों के चलते ये आदेश लालकिला में लागू नहीं होगा.

WATCH LIVE TV

Trending news