उपचुनाव की वो 2 सीटें, जहां सपा के लिए BJP का किला भेदना आसान नहीं, एक पर तो आज नहीं जीती
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उपचुनाव की वो 2 सीटें, जहां सपा के लिए BJP का किला भेदना आसान नहीं, एक पर तो आज नहीं जीती

UP Byelection 2024: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है. इनमें दो ऐसी सीटें हैं जहां समाजवादी पार्टी के लिए बीजेपी का किला भेदना आसान नहीं होगा. बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे इस तरफ इशारा करते हैं.

UP Byelection 2024

UP Byelection 2024: उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए प्रचार का शोर सोमवार यानी आज थम जाएगा. उपचुनाव वाली सीटों पर सियासी समीकरण साधने से लेकर प्रचार अभियान को धार देने तक राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंकी है. लेकिन गाजियाबाद और खैर दो ऐसी सीटें हैं जहां समाजवादी पार्टी के लिए बीजेपी का किला भेदना आसान नहीं होगा. बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे इस तरफ इशारा करते हैं. गाजियाबाद में सपा को केवल एक बार उपचुनाव में जीत मिली है तो वहीं खैर में पार्टी का अब तक खाता नहीं खुला है.

गाजियाबाद विधानसभा सीट का रिकॉर्ड
गाजियाबाद सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 2012 और 2017 में यहां से बीजेपी के अतुल गर्ग विधायक बने थे. उनके सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी. जिसके चलते यहां उपचुनाव हो रहा है. गाजियाबाद सीट पर सपा केवल एक ही बार चुनाव जीतने में सफल हुई है. यह जीत 20 साल पहले उसे 2004 उपचुनाव में मिली थी. यहां से सपा के सुरेंद्र कुमार मुन्नी जीते थे. उपचुनाव में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही थी. बीजेपी ने यहां से सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाया था.

गाजियाबाद से कौन-कौन मैदान में?
बीजेपी ने यहां से संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. वह बीजेपी महानगर के संघटने अध्यक्ष हैं. बीजेपी के ब्राह्मण प्रत्याशी के सामने सपा ने दलित उम्मीदवार सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने वैश्य समाज से आने वाले पीएन गर्ग को टिकट दिया है.

गाजियाबाद जातीय समीकरण
गाजियाबाद विधानसभा में कुल वोटर करीब 4.61 लाख हैं. जिसमें 2.54 लाख पुरुष जबकि 2.07 लाख महिला मतदाता हैं. अनुमानित जातीय आंकड़े देखें तो यहां सबसे ज्यादा 82500 दलित, 56 हजार ब्राह्मण, 44 हजार ओबीसी, 36 हजार वैश्य, 35500 मुस्लिम, 26 हजार ठाकुर वोटर हैं. इसके अलवा पंजाबी, यादव, गुर्जर, जाट, कायस्थ और अन्य जातियों के वोटर भी हैं.

खैर सीट
खैर सीट पर सपा एक भी बार जीत का स्वाद नहीं चख पाई है. उपचुनाव में सपा के लिए यहां कड़ी परीक्षा होगी. खैर सीट के इतिहास को देखें को बसपा यहां आखिरी बार 2002 में जीती थी. जबकि बीजेपी 1991, 1996 और 2017, 2022 में जीत दर्ज कर चुकी है. जबकि रालोद ने यहां 2007 और 2012 में बाजी मारी. वही, कांग्रेस यहां 1974, 1980 में परचम लहराया था. 2017 और 2022 में यहां से बीजेपी के अनूप वाल्मीकि ने जीत दर्ज की थी. अब तक हुए चुनाव में यहां पांच-पांच बार रालोद और कांग्रेस, चार बार बीजेपी, एक बार बसपा ने जीत दर्ज की है.

खैर जातीय जातीय समीकरण
खैर सीट के अनुमानित जातीय समीकरण देखें तो यह जाट बहुल सीट है. इनकी  संख्या करीब डेढ़ लाख है. इसके अलावा ब्राह्णण वोटर 70 हजार, एससी वोटर 55 हजार, ओबीसी 40 हजार मुस्लिम 35 हजार, ठाकुर 30 हजार, वैश्य 20 हजार अनुमानित वोटर हैं.

इस बार कौन कौन मैदान में?
खैर सीट से बीजेपी ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह के बेटे सुरेंद्र दिलेर को उतारा है. वहीं सपा ने बीसपा और कांग्रेस में रहीं चारू कैन को टिकट दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में वह बसपा से चुनाव लड़ीं थीं और दूसरे नंबर पर रही थीं. बसपा ने यहां से पहल सिंह को उम्मीदवार बनाया है. आजाद समाज पार्टी से यहां नितिन कुमार चोटेल मैदान में हैं.

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