यूपी में दो साल में कराने पड़ेंगे विधानसभा चुनाव? वन नेशन वन इलेक्शन से कैसे बदल जाएगी सबसे बड़े राज्य की राजनीति
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यूपी में दो साल में कराने पड़ेंगे विधानसभा चुनाव? वन नेशन वन इलेक्शन से कैसे बदल जाएगी सबसे बड़े राज्य की राजनीति

UP Politics:  वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल लोकसभा में आज पेश किया जा सकता है. ये बिल अगर कानून बनता है तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की स्थिति पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है.

One Nation One Election

One Nation One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल को लेकर सियासत गरम है. लोकसभा में मंगलवार यानी आज यह बिल पेश किया जा सकता है. बीजेपी ने अपने लोकसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी कर सांसदों को सदन में रहने के लिए कहा है. ये बिल अगर कानून की शक्ल लेता है तो संभव है कि 2029 का लोकसभा चुनाव के साथ उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी साथ कराए जाएं.

कैबिनेट दिखा चुका हरी झंडी
'एक देश एक चुनाव' का मुद्दा मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. बीते 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट इस बिल को मंजूरी दे चुकी है. इसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने को लेकर है.

.. तो यूपी-उत्तराखंड में भी बदलेगा चुनावी शेड्यूल?
उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे. 5 साल के कार्यकाल के हिसाब से यूपी में अगला विधानसभा चुनाव 2027 में होना है. अगर 'एक देश एक चुनाव' कानून बनता है तो उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 2 साल का ही होगा. ठीक यही स्थिति उत्तराखंड के लिए भी है. यहां भी 2027 में अगले विधानसभा चुनाव होंगे. यानी यहां भी विधानसभा का कार्यकाल 2 साल का ही रहेगा. दोनों ही राज्यों में अभी बीजेपी की सरकार है.

बहुमत नहीं मिला तो क्या?
चुनाव में कई पार्टियां मैदान में उतरती हैं. कई बार ऐसा होता है कि किसी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिलता है. ऐसे में सबसे ज्यादा सीटों वाली पार्टी को सरकार बनाने का न्योता मिलता है, फिर भी अगर सरकार नहीं बन पाती तो मध्यावधि चुनाव होते हैं. लेकिन अगर मध्यावधि में चुनाव होते हैं तो सरकार का कार्यकाल 5 साल नहीं होगा. लोकसभा और विधानसभा दोनों में यह फॉर्मूला लागू होगा.

आम लोगों की राय लेने की योजना
सूत्रों के अनुसार, इस बिल पर आम लोगों की राय भी लेने की योजना है. विचार-विमर्श के दौरान बिल के प्रमुख पहलुओं, इसके फायदे और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी कार्यप्रणाली और चुनावी प्रबंधन पर बातचीत की जाएगी. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से बातचीत की जिम्मेदारी के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू को नियुक्त किया गया है.

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