सामाजिक बैठकों के जरिए जातियों को जोड़ेगी बसपा, जानें मायावती की लोकसभा के लिए क्या है रणनीति?
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सामाजिक बैठकों के जरिए जातियों को जोड़ेगी बसपा, जानें मायावती की लोकसभा के लिए क्या है रणनीति?

Lucknow: मायावती  बहुजन समाज पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुट गई हैं... बसपा लोकसभा चुनाव के लिए नई सोशल इंजिनियरिंग की तैयारी कर रही है। विधानसभा क्षेत्र से लेकर बूथ स्तर तक सामाजिक बैठकों के जरिए अलग-अलग जातियों को जोड़ा जाएगा।

 

File photo

विशाल सिंह/लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.  सामाजिक बैठकों के जरिए बसपा विभिन्न जातियों को जोड़ने की रणनीति तैयार कर रही है. बीएसपी चीफ मायावती पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही हैं. अब बसपा, दूर हुई जातियों को जोड़ने की योजना पर काम करते हुए दिख रही हैं. विधानसभा से बूथ स्तर तक बैठकों की तैयारी की जा रही है.

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जानें क्या है रणनीति?
बीजेपी के बाद अब बीएसपी भी नई सोशल इंजीनियरिंग में लगी विधानसभा क्षेत्र से लेकर बूथ स्तर तक सामाजिक बैठकों के ज़रिये समाज के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश करने की तैयारी में है. बसपा के बूथ स्तर तक के पदाधिकारी  बैठक करेंगे. पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने समाज के लोगों के बीच जाएंगे. इनका उद्देश्य पार्टी की उपलब्धियां और अहमियत बताना होगा. 

समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने का प्रयास

बसपा की 10 दिसंबर को हुई बैठक में पार्टी प्रमुख मायावती ने अभी से लोकसभा चुनाव तैयारियों के लिए जुटने के निर्देश दिए हैं. मायावती ने सबसे पहले विधानसभा क्षेत्र स्तर पर बैठकें करने के लिए कहा. इन बैठकों में संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे. बैठकों में पार्टी की रणनीति और कार्यक्रमों के बारे में बताया जाएगा.  बूथ कमिटियों का गठन भी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर किया गया है. जिन जातियों की बूथ पर बहुलता है, उन जातियों के प्रमुख लोगों को बूथ कमिटी में रखा गया है.

अगले साल यानी 15 जनवरी को मायावती का जन्मदिन है.  उसके बाद पार्टी बड़ी सभाएं शुरू करेगी.  इससे पहले विधानसभा क्षेत्रवार बैठकों और बूथ कमिटियों के जरिए पार्टी का संदेश लोगों तक पहुंचाया जाएगा.

नया उत्तराधिकारी घोषित
बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने पार्टी को नया उत्तराधिकारी दे दिया. बता दें कि यूपी और उत्तराखंड में पार्टी की जिम्मेदारी मायावती ही संभालेंगी, जबकि बाकी 26 राज्यों का काम उनके भतीजे आकाश देखेंगे. पार्टी की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए मायावती ने आकाश को आगे किया है.

कैसे बनी बसपा?
ऐसे बनी बसपा और माया का सफर दलित कार्यकर्ता और सिविल सेवा के अधिकारी कांशीराम ने 1984 में बहुजन समाज पार्टी का गठन किया था.  पार्टी बनाने के पीछे कांशीराम की प्रेरणा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर थे. पार्टी का कहना है कि वह अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के हित में काम करती है.

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