Milkipur Byelection 2025: मिल्कीपुर में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार अजीत प्रसाद और बीजेपी के चंद्रभान पासवान के बीच सियासी जंग होगी. आइए जानते हैं मिल्कीपुर के सियासी समीकरण और इन नेताओं का सियासी रसूख क्या है.
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Milkipur Bypolls 2025: मिल्कीपुर में समाजवादी पार्टी के बाद बीजेपी प्रत्याशी के चेहरे से भी पर्दा उठ चुका है. उपचुनाव की सियासी जंग में सपा के अजीत प्रसाद के मुकाबले बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को उतारकर सियासी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. मकर संक्रांति पर चंद्रभान के नाम के ऐलान के बाद दोनों उम्मीदवारों के सियासी रसूख को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. आइए जानते हैं सियासत में दोनों नेताओं का क्या कद है.
मिल्कीपुर में क्यों पासवान पर दांव?
बता दें कि मिल्कीपुर का किला भेदने के लिए सबसे बड़ा फैक्टर यहां के जातीय समीकरण है. यही वजह है कि बीजेपी ने बाबा गोरखनाथ की जगह दलित समाज से आने वाले चंद्रभान पासवान को टिकट देकर बड़ा दांव चला है. पासवान 2022 विधानसभा चुनाव में भी मजबूती से दावेदारी पेश कर चुके हैं लेकिन मौका नहीं मिला. उपचुनाव में फिर उन्होंने मौका मांगा, जिस पर पार्टी ने हरी झंडी दिखाई है.
चंद्रभान पासवान की सियासी पैठ
चंद्रभान पासवान पेशे से एडवोकेट हैं. बीजेपी जिला संगठन की बात आती है तो उनका नाम पहली पंक्ति में आता है. उनका परिवार समाजसेवा के लिए जिले में जाना जाता है. उनके पिता राम लखनदास भी समाजसेवा से जुड़े हैं. वह जिले में दुर्घटना की जानकारी मिलने पर हमेशा मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं. सियासत की बात करें तो चंद्रभान की पत्नी दो बार से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हो रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र के 72 बूथों की जिम्मेदारी उनको मिली थी. जिसमें उन्होंने 65 बूथों पर बीजेपी को जिताकर अपना सियासी कद बढ़ाया.
अजीत प्रसाद का सियासी रसूख
वहीं, दूसरी ओर समाजवादी पार्टी से अयोध्या सांसद अजीत प्रसाद मैदान में हैं. सपा 6 महीने पहले ही उनके नाम का ऐलान कर चुकी है.
मजबूत पक्ष देखें तो उनके पिता अवधेश प्रसाद यहां से 9 बार विधायक रह चुके हैं. अजीत प्रसाद साल 2010 से समाजवादी पार्टी में सक्रिय हैं. अजीत प्रसाद सपा की प्रदेश कार्यकारिणी के मेंबर भी रह चुके हैं. पिता की चुनावी जनसभाओं में भी उन्होंने प्रचार की बागडोर संभाली थी.
जिला पंचायत चुनाव हारे
अवधेश प्रसाद पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले 2017 में भी सपा ने उनको जगदीशपुर से उम्मीदवार बनाया था लेकिन कांग्रेस से गठबंधन होने की वजह से यह सीट सपा को छोड़नी पड़ी थी. अवधश जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उनको हार का सामना करना पड़ा था.
बीजेपी ने उम्मीदवार से दिया नारे के जवाब
अयोध्या लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने नारा दिया था कि 'अयोध्या न काशी, अबकी बार चलेगा पासी '. इसी की काट के तौर पर माना जा रहा है कि बीजेपी ने पासी उम्मीदवार पर दांव लगाया है.
अब समझिए मिल्कीपुर के जातीय समीकरण
मिल्कीपुर के सियासी समीकरण देखें तो यहां दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, इनमें भी पासी समाज सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि कई चुनाव में यहां सपा पासी चेहरे को उतारने का दांव कारगर साबित होता रहा है. 1991 से अब तक हुए चुनाव में मिल्कीपुर में केवल दो बार बीजेपी को जीत मिली है. यहां 55 हजार पासी, 1 लाख 20 हजार अन्य दलित (कोरी व अन्य) हैं. इसके अलावा 55 यादव वोटर हैं.
ब्राह्मण वोटर 60 हजार, ठाकुर 20 हजार और ओबीसी वोटर 50 हजार हैं.