मतदान करना हर भारतीय नागरीक का कर्तव्य है. कहा जाता है कि पहले मतदान फिर जलपान. मतदान के समय हाथ की उंगली पर नीले रंग की स्याही लगाई जाती है. क्या आप जानते हैं आखिर नीले ही रंग की स्याही क्यों लगाई जाती है? जानने के लिए पूरा पढ़ें...
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UP Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव पूरे जोर- शोर से चल रहे हैं. पहले चरण के लिए मतदान हो चुके हैं और दूसरे चरण के लिए 11 मई को मतदान होना है. अगर आपने वोट डाल चुके हैं तो आपकी उंगली पर नीले रंग की स्याही लग गयी होगी. और अगर आपको 11 मई को मतदान करना है तो आपकी उंगली पर भी नीले रंग की स्याही लगेगी. क्या आपने कभी सोचा है कि उंगली पर ये नीले रंग की स्याही क्यों लगायी जाती है. और ये स्याही मिटती क्यों नहीं है. दरअसल चुनाव में नीले रंग कि स्याही का इस्तेमाल करने का श्रेय इस देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को जाता है. आपके नाम पर कोई और व्यक्ति वोट न डाल सके इसलिए यह ख़ास पहचान आपकी उंगली में लगा दी जाती है इसके अलावा कोई भी वोटर्स इस स्याही की वजह से एक ही चुनाव में एक से ज्यादा बार मतदान नहीं कर सकता.
यह स्याही इतनी जल्दी क्यों नहीं मिटती?
यह कोई आम स्याही नहीं होती बल्कि इसे केवल मतदाताओं के लिए ही बनाया जाता है. इस स्याही को बनाने में सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. यह केमिकल पानी के संपर्क में आने के बाद काले रंग का हो जाता है और मिटता नहीं है. सिल्वर नाइट्रेट हमारे शरीर में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है. इसके बाद यह पानी में घुल नहीं सकता और कम-से-कम 72 घंटे तक त्वचा से मिटाया नहीं जा सकता. यह इंक 40 सेकंड से भी कम समय में सूख जाती है.
कौन सी कंपनी बनाती हैं यह स्याही
इस स्याही का इस्तेमाल साल 1962 से किया जा रहा यही. मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (MVPL) नाम की कंपनी इस स्याही को बनाती है. 1937 में मैसूर प्रांत के महाराज नलवाडी कृष्णराजा वडयार ने इसकी शुरुआत की थी. इस चुनावी स्याही को सरकार या चुनाव से जुडी एजेंसियां ही खरीद सकती हैं. भारत ही नहीं कई अन्य देशों को भी यह कंपनी इस नीली स्याही की सप्लाई करती है. MVPL इसके अलावा भी बहुत सारे पेंट बनाती है.
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