UP Vidhansabha Chunav 2022: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद से बिजनौर में BJP रही है मजबूत, जानिए इस सीट का इतिहास
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UP Vidhansabha Chunav 2022: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद से बिजनौर में BJP रही है मजबूत, जानिए इस सीट का इतिहास

बात बिजनौर विधानसभा की करें तो श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है. बीच-बीच में बसपा इस सीट पर जरूर जीती है, लेकिन ज्यादातर बार बिजनौर सीट से भाजपा के विधायक ही सदन में पहुंचते रहे हैं. 

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले को महात्मा विदुर की भूमि के रूप में भी जाना जाता है.

बिजनौर: गंगा और मालन नदियों के दोआब में बसा है उत्तर प्रदेश का जिला बजनौर जिसे महात्मा विदुर की भूमि भी कहते हैं. बिजनौर की सीमा मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों से मिलती है. इस जिले से गुजरने वाली रेलवे लाइन अमरोहा के गजरौला जाकर दिल्ली-लखनऊ मुख्य रेलवे लाइन में जुड़ती है. बिजनौर जिले में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है, रोजगार के ​साधन कम हैं. इसलिए यहां के लोग हरिद्वार में जाकर काम धंधा करते हैं. 

शिक्षा की बात करें तो बिजनौर में डिग्री और इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. स्वास्थ्य की बात करें तो जिला मुख्यालय में अस्पताल और डॉक्टर मिलते हैं. यहां नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य चल रहा है. दो नदियों के बीच​ स्थित होने के कारण बिजनौर जिले में कटान और बाढ़ की समस्या रहती है. जिले के 20 से 25 गांव हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं. कई गांव गंगा में कटान की वजह से विस्थापित होने का खतरा झेल रहे हैं. बिजनौर जिले में विधानसभा की कुल 8 सीटें पड़ती हैं. बिजनौर, नगीना, धामपुर, नूरपुर, नहटौर, नजीबाबाद, चांदपुर और बढ़ापुर.

बिजनौर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
बात बिजनौर विधानसभा की करें तो श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है. बीच-बीच में बसपा इस सीट पर जरूर जीती है, लेकिन ज्यादातर बार बिजनौर सीट से भाजपा के विधायक ही सदन में पहुंचते रहे हैं. वर्ष 1991 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद बिजनौर सीट से भाजपा के महेंद्र पाल सिंह 67009 वोट पाकर विधायक बने. बसपा के राजा गजनफर अली दूसरे स्थान पर रहे. 1993 के चुनाव में भाजपा के महेंद्र पाल सिंह 52338 वोट पाकर लगातार दूसरी बार चुनाव जीते. इस बार जनता दल के सुखबीर सिंह 40730 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.

बहुजन समाज पार्टी के राजा गजनफर अली 1996 के विधानसभा चुनाव में 74675 वोट पाकर विधायक बने. उन्होंने भाजपा के डॉक्टर तेजपाल वर्मा को हराया था. साल 2002 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कुंवर भारतेंद्र सिंह इस सीट पर 52195 वोट पाकर विधायक चुने गए. समाजवादी पार्टी के तस्लीम अहमद 35856 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. 2007 के विधानसभा चुनाव में कुंवर भारतेंद्र सिंह बसपा प्रत्याशी शाहनवाज राणा से सिर्फ 557 वोटों से हारे. कुंवर भारतेंद्र सिंह ने 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर फिर जीत दर्ज की. उन्होंने इस बार बसपा के महबूब अली को हराया.

कुंवर भारतेंद्र सिंह को 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट दिया. इस कारण उन्हें विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना पड़ा. इस सीट पर 2014 में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की रुचि वीरा ने भाजपा प्रत्याशी हेमेंद्र पाल सिंह को हराया. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सूची चौधरी ने 105548 मत हासिल कर सपा की रुचि वीरा को 27000 वोटों से हराया. यदि बात 1990 के पहले की करें तो इस सीट से 1952 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस की चंद्रावती देवी दो बार विधायक रहीं. फिर 1967 और 1977 में जनता दल के कुंवर सत्यवीर सिंह दो बार विधायक रहे. 1969 के चुनाव में रामपाल सिंह विधायक बने. 1974, 1980 और 1984 में अजीजुर्रहमान लगातार 3 बार विधायक चुने गए. 1989 के चुनाव में सुखबीर सिंह जनता दल के टिकट पर बिजनौर सीट से विधायक रहे.

बिजनौर सीट पर धार्मिक-जातिगत समीकरण
साल 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो बिजनौर विधानसभा सीट पर कुल 373654 मतदाता हैं. इसमें 196394 पुरुष और 177260 महिला मतदाता शामिल हैं. इस सीट पर 1 लाख से ज्यादा मुस्लिम, 50,000 के करीब जाट, 52 हजार के करीब दलित और 22 हजार के करीब सैनी मतदाता हैं. इसके अलावा 15000 के आसपास पाल, 13000 के आसपास कश्यप, 10000 के आसपास राजपूत और 10 हजार के लगभग वैश्य, 8 हजार के करीब बंगाली और 4 हजार के करीब प्रजापति वोटर्स, 5000 के करीब ब्राह्मण और 3000 अन्य जाति के मतदाता हैं. इस सीट पर मुस्मिल, जाट और दलित मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते हैं.

2017 के चुनाव में बिजनौर विधानसभा के नतीजे
भाजपा की सूची चौधरी को 105548 वोट मिले और वह चुनाव जीतीं
सपा प्रत्याशी कुंवरानी रुचि वीरा 78267 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहीं 
बहुजन समाज पार्टी के रशीद अहमद छिद्दू 49788 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे
राष्ट्रीय लोक दल के राहुल सिंह 7799 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे

वर्तमान भाजपा विधायक सूची चौधरी के बारे में
भाजपा की सूची चौधरी बिजनौर शहर की बहू हैं. वह पहली बार 2017 में विधायक बनीं. इनकी शादी बिजनौर के नई बस्ती निवासी अधिवक्ता ऐश्वर्य मौसम चौधरी से हुई है. सूची पोस्ट ग्रेजुएट हैं. विधायक बनने से पहले उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी. वर्ष 2016 में बिजनौर में हुए एक सांप्रदायिक दंगे में सूची के पति ऐश्वर्य चौधरी उर्फ मौसम को जेल जाना पड़ा था. भाजपा ने मौसम चौधरी की पत्नी सूची चौधरी को 2017 के विधानसभा चुनाव में बिजनौर से अपना प्रत्याशी घोषित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिजनौर में एक जनसभा की थी. 

इस चुनाव में प्रचार के दौरान सूची चौधरी ने अपने पति को निर्दोष बताते बताया और उन्हें सपा सरकार की साजिश का शिकार बताया. उन्हें जनता की सहानभूति मिली. सूची चौधरी का दावा है कि उन्होंने खादर क्षेत्र में गंगा पर पैंटून पुल, अपने विधानसभा क्षेत्र में इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज का निर्माण कराया है. इसके अलावा उन्होंनें कुछ गांवों में स्टेडियम बनाने और सड़कों का जाल बिछाने का काम किया है. वही बिजनौर में मेडिकल कॉलेज लाने में सफल रही हैं.

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