Shaniwar ke Upay: आज 27 मई दिन शनिवार है. हिंदू धर्म में यह दिन सूर्य पुत्र शनि देव को समर्पित माना जाता है. इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि शनिवार को शनिदेव की उपासना करने से कृपा दृष्टि बनी रहती है. कहा जाता है जिस भक्त पर शनिदेव की कृपा रहती है, उसके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता. साथ ही लोग जीवन में खूब तरक्की हासिल करते हैं. आज के दिन कुछ विशेष उपाय करने से आप भी शनिदेव को खुश कर सकते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं.
शनिवार को करें ये उपाय
- काला कुत्ता शनिदेव की सवारी है. आज के दिन काले कुत्ते को सरसों के तेल लगी रोटी खिलाएं. यह उपाय राहु-केतु दोष दूर करता है.
- पांच से सात शनिवार, एक कोयले के टुकड़े को लेकर उसे बहते हुए जल में प्रवाहित करें. इस दौरान ‘शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें. कहते हैं इस उपाय से नौकरी मिलने में सफलता मिलती है.
- शनिवार को उड़द की दाल की खिचड़ी बनाएं और शनिदेव को भोग लगाएं. इसके बाद गरीबों में प्रसाद बांट दें. इस उपाय से शनिदेव की कृपा से धन-दौलत में वृद्धि होती है.
- आज के दिन जरूरतमंदों को काला छाता, काले जूते, काले तिल, काली उड़द और काले वस्त्र का दान करना चाहिए. ऐसा करना पापों का नाश होता है.
- शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसमें काला तिल जरूर डालें. माना जाता है कि इस उपाय से भविष्य उज्जवल होता है.
- पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें. इस दौरान ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें. इससे शनिदेव की कृपा बनी रहती है.
- शनिवार को पीपल के 11 पत्तों से एक माला बनाएं. इसके बाद मंदिर में जाकर शनि देव को चढ़ाएं. इससे व्यापार में आ रहे संकट दूर होते हैं.
- शनिवार के दिन शनि के बीज मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. कहते हैं कि इससे शनि दोष को कम किया जा सकता है.
शनि देव को प्रसन्न रखने के लिए करें इन मंत्रों का जाप
- सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।
- शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
- शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
- शनि गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
- तांत्रिक शनि मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- शनि दोष निवारण मंत्र- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
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