Poll Strategist Sunil Kanugolu: कांग्रेस उत्तर भारत के 3 बड़े राज्यों (राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़) में हार के कारणों पर मंथन कर रही है. इन राज्यों में सुनील कनुगोलू की मदद ना लेना कांग्रेस की हार का कारण माना जा रहा है. जानें कौन हैं सुनील कनुगोलू?
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Teleangana Election: 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 1 ही राज्य आया है. कांग्रेस को सिर्फ तेलंगाना में ही जीत मिली है. तेलंगाना में कांग्रेस की झोली में 64 सीटें आई हैं. कांग्रेस की इस जीत में सुनील कनुगोलू को हिडन हीरों के तौर पर देखा जा रहा है. सुनील कनुगोलू को दो साल पहले मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने चुनावी रणनीति बनाने के लिए अपने हैदराबाद वाले फार्म हाउस पर बुलाया था. सुनील कुछ समय पहले ही तमिलनाडु चुनाव कैम्पेन से मुक्त हुए थे और नई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार थे. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और सुनील की यह बैठक 5 दिनों तक चली. इसके कुछ समय बाद सुनील अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के चुनाव रणनीति समिति के अध्यक्ष बन गए और उन्होंने केसीआर ले मोर्चा अपने हाथ में ले लिया.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद सुनील ने तेलंगाना और कर्नाटक दोनों विधानसभा चुनावों को लेकर काम करना शुरू कर दिया. अपनी क्षमता को साबित करते हुए उन्होंने कांग्रेस को कर्नाटका में जीत दिलाई. कांग्रेस पार्टी की इस जीत में सुनील का बड़ा योगदान था. कर्नाटका के वो तेलंगाना पर भी काम कर रहे थे. जहां कांग्रेस काफी नीचे गिर गई थी या यूं कहें कि लगभग निचले स्तर पर पहुंच गई थी. पार्टी में कोई उत्साह नहीं बचा था और ना ही उसमें कोई उम्मीद शेष थी. आंतरिक गुटबाजी ने हालात को और भी बदतर बना दिया था. सुनील ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और राहुल गांधी सहित पार्टी के बड़े नेताओं से कहा कि वे केसीआर को हरा सकते हैं, जो उस वक्त अजीब लगा था, लेकिन आज नतीजे सबके सामने हैं.
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सुनील कनुगोलू को साल की शुरुआत में हैदराबाद पुलिस ने उनके कार्यालय और कांग्रेस वॉर रूम पर छापेमारी के बाद पूछताछ के लिए बुलाया था. जब मीडिया उनके पुलिस के सामने आने का इंतजार कर रही थी; वह उनके ठीक पीछे चले गए और मीडिया में कई लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह वही व्यक्ति थे. सुनील ने इस चुनाव में काफी अहम भूमिका निभाई. राज्य में विशिष्ट गांरटी योजना और राज्य में सर्वे करवाने के बाद ही उम्मीदवारों को टिकट भी बांटी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और सुनील की जोड़ी ने मिलकर पार्टी संगठन के भीतर बहुत अच्छे काम किए.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तेलांगना कांग्रेस में सब कुछ सुनील ही तय करते थे. पार्टी का बड़े से बड़ा नेता भी सुनील की मंजूरी लेता थे. एक समय था जब सीएम अपने परिवार के साथ एक मंदिर जाना चाहते थे और सीएम ने सुनील को भी अपने साथ मंदिर जाने के लिए मजबूर किया. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी सुनील कनुगोलू की सेवाएं लेना चाहता था. लेकिन अशोक गहलोत और कमल नाथ जैस क्षेत्रीय नेता कथित तौर पर कनुगोलू के नाम पर सहमत नहीं थे.
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