Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने PMO आये मुलायम सिंह यादव और फिर एक झटके में राष्ट्रपति के लिए कलाम का नाम का चयन कर लिया गया. जाने पूरा किस्सा.
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Atal Bihari Vajpayee Jayanti: देश के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम सामने आया जिस पर NDA की तत्कालीन सरकार में मुहर लगाई गई थी लेकिन कलाम का नाम सामने आना और उनके द्वारा भारत के राष्ट्रपति पद को धारण करने के पीछे एक अच्छा खासा किस्सा है जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी जी का महत्वपूर्ण योगदान है. कम लोगों को पता है कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस पद के लिए पहली पसंद नहीं थे. बल्कि उनके नाम पर एक झटके में मुहर लगाई गई थी. दरअसल, हुआ ये कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव व अमर सिंह के साथ अटलजी की मुलाकात थी जहां पर कलाम के नाम पर सहमति व्यक्त की गई. दिवंगत राजनेता अमर सिंह ने इस बारे में इंटरव्यू में जानकारी दी थी.
कलाम के नाम की स्वीकृति
एक इंटरव्यू में अमर सिंह ने जानकारी दी थी कि ‘ये सच है कि नारायणन जी के पक्ष में हम लोगों ने वामपंथियों को समर्थन दे दिया. मुझे और मुलायम सिंह को अटल जी, आडवाणी जी और प्रमोद महाजनज ने PMO बुलाया था. वहां अटल जी ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए पी.सी अलेक्जेंडर का हमने नाम तय किया जिस पर उनसे मैंने कहा कि गुजरात में पार्टी के खिलाफ जिस तरह का प्रचार चल रहा है उस लिहाज से किसी मुस्लिम को बनाते तो सही होता. इस पर मुझसे अचानक ही आडवाणी जी ने पूछा, ‘कोई मुस्लिम उम्मीदवार है क्या?’ इस पर मैंने कहा, ‘पोखरण के पीछे रहने वाले डॉ. कलाम, भारत रत्न हैं, गीता का अध्यन करते हैं, अविवाहित हैं, कलाम को क्यों नहीं कर देते? हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि तुरंत कलाम के नाम की स्वीकृति मिलेगी.’
अटल बिहारी वाजपेयी जी की आवाज
इसके बाद बात आती है कलाम की हामी का, इस बारे में एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2002 में चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी में कलाम लेक्चर दे रहे थे और जब वो वहां से लौटे तो अन्ना यूनिवर्सिटी के वीसी ने उन्हें जानकारी दी कि उनके लिए दिल्ली से लगातार फोन आ रहे हैं. कुछ ही देर फिल कॉल आई जिसे कलाम ने रिसीव किया सामने से एक आवाज आई जिसमें कहा कि आपसे प्रधानमंत्री बात करना चाहते हैं, इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी की आवाज आई. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है. अब बस उनकी सहमति चाहिए. इस पर तब के 'भावी राष्ट्रपति' ने थोड़े समय की मांगा की और करीब दो घंटे बाद अपनी सहमती दी. इस तरह एपीजे अब्दुल कलाम को देश का राष्ट्रपति बना दिया गया.
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