घर में खाने-पीने के लाले पड़ रहे थे. भर पेट खाना न मिलने की वजह से 13 साल की बेटी अनुराधा की तबीयत खराब रहने लगी. धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्य बीमारी की चपेट में आने लगे...
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अलीगढ़: जिस देश में तमाम भंडारे होते हैं, लंगर होते हैं. सरकारी राशन का वितरण मुफ्त में किया जाता है. उस देश में लोग भूख से तड़प कर सूख कर कांटा हो जाएं तो हैरत की बात है. अलीगढ़ में दिल को झकझोर देने वाला ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है. एक महिला और उसके 5 बच्चे 2 महीने से खाने के लिए तरस गए हैं.
आस-पड़ोस में से अगर किसी ने परिवार के 6 सदस्यों के बीच 4-6 रोटियां दे दीं तो उन्हीं को खाकर पानी पीकर गुजारा कर लिया. नौबत यहां तक आ गई कि पिछले दस दिनों से परिवार के सदस्यों ने रोटी नहीं खाई. भूखे रहने के कारण सभी की तबीयत खराब हो गई. जिन्हें अब मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हालांकि, अब उनका डॉक्टर्स ख्याल रख रहे हैं और एनजीओ से भी कुछ मदद पहुंच रही है.
काम नहीं मिला तो पड़ गए खाने के लाले
दरअसल, अलीगढ़ के थाना सासनी गेट इलाके के आगरा रोड स्थित मंदिर नगला में 40 साल गुड्डी अपने पांच बच्चों (20 वर्षीय अजय, 15 वर्षीय विजय, 13 वर्षीय अनुराधा, 10 वर्षीय टीटू और 5 वर्षीय सुंदरम) के साथ रहती है. गुड्डी के मुताबिक उसके पति विनोद की 2020 में लॉकडाउन से पहले ही मौत हो गई थी.
वह किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उनके बाद परिवार का पेट पालने के लिए गुड्डी ने एक फैक्ट्री में 4 हजार रुपये महीने पर काम करना शुरू कर दिया. लेकिन लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री कुछ समय बाद घाटे में जाने लगी और फिर बंद हो गई. उसके बाद गुड्डी को कहीं काम नहीं मिल सका.
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जिस दिन काम मिलता, राशन ले आता था बेटा
घर में रखा राशन भी धीरे-धीरे खत्म हो गया और नौबत लोगों द्वारा दिये गए खाने के पैकेट पर निर्भर होने पर आ गई. फिर गुड्डी के बड़े बेटे अजय ने पिछले लॉकडाउन खुलने के बाद मजदूरी/बेलदारी शुरू कर दी. जिस दिन काम मिल जाता था, उस दिन घर का राशन पानी ले आता था.
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पहले बेटी, फिर सभी बीमार होने लगे
घर में खाने-पीने के लाले पड़ रहे थे. भर पेट खाना न मिलने की वजह से 13 साल की बेटी अनुराधा की तबीयत खराब रहने लगी. धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्य बीमारी की चपेट में आने लगे. देखते ही देखते कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी और फिर से लॉकडाउन हो गया. इस वजह से अजय को जो थोड़ी-बहुत मजदूरी मिल जाती थी, वह भी बंद हो गई.
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गुड्डी और अजय का कहना है कि पिछले 2 महीने से भरपेट खाना नसीब नहीं हो सका है. क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों को बुखार और अन्य बीमारियों ने घेर लिया. इसके चलते घर से निकलना भी बंद हो गया. आस-पड़ोस के लोग जो भी दे देते, उसी से काम चला लिया करते थे. बाकी पानी पीकर सो जाया करते.
नौबत यहां तक आ गई कि पिछले 10 दिनों से रोटी नहीं खाई है. गुड्डी के मुताबिक, उसकी एक शादीशुदा बेटी को इस बात की जानकारी हुई तो उसके पति ने पूरे परिवार को मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया. हालांकि, बेटी और दामाद की भी हालत ठीक नहीं रहती है. फिलहाल गुड्डी और उसके परिवार का इलाज चल रहा है और डॉक्टर्स की देख-रेख में सभी सदस्य सुरक्षित हैं. अब एनजीओ की तरफ से भी उन्हें मदद मिल रही है.
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