Kanya Pujan 2023: कन्या पूजन में 2 से 9 साल की आयु की कन्याओं का ही पूजन करें और साथ में एक बटुक यानी 9 कन्याओं के साथ एक बालक (लड़का) होना चाहिए. क्योंकि मां की पूजा भैरव पूजा के बिना अधूरी है...
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Shardiya Navratri 2023: आज नवरात्रि का आंठवा दिन यानी महाअष्टमी की तिथि है. अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है. हिंदू परम्परा के अनुसार, कुछ लोग नवरात्रि की अष्टमी को और कुछ लोग नवमी को मां दुर्गा की विशेष पूजा और हवन करने के बाद कन्या पूजन करते हैं. कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. कन्या पूजन में 2-10 साल की छोटी कन्याओं को नौ देवियों का रूप मानकर आदर-सत्कार किया जाता है और इनकी पूजा की जाती है. अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते है कि इस दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे मां की कृपा हम पर बरसे. मां भगवती से अपनी हर मुराद पूरी करवाना चाहते हैं तो कन्या पूजन के दिन ये गलतियां नहीं करें.
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कन्या पूजन मुहूर्त
अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 2 से 3 बजे तक रहेगा.
नवरात्रि की महाअष्टमी- 22 अक्टूबर
महानवमी तिथि- 23 अक्टूबर.
कन्या पूजन में न करें ये गलती
कन्याओं का न करें अपमान
अगर आप कन्या पूजन कर रहे हैं तो इस दिन किसी भी बच्ची से बुरा नहीं बोलें और उनका अपमान न करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं के रूप में मां दुर्गा स्वयं अपने अलग-अलग रूपों में कन्या पूजन करने आती हैं.
लहसुन-प्याज नहीं
अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं के भोजन में लहसुन प्याज का प्रयोग बिल्कुल न करें. नवरात्रि में लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित बताया गया है. कन्या पूजन के दौरान छोटी बच्चियों को माता रानी का रूप माना गया है.
झूठा भोजन न खिलाएं
अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है. इन दिन कन्याओं को भोजन कराने से पहले जूठा न करें. मां का भोग लगाने और कन्या भोजन के बाद ही किसी किसी दूसरे को भोजन कराएं.
भेदभाव नहीं करें.
इन दिन इस बात का खास ख्याल रखना है कि कन्याएं मां का रूप होती है. इनके साथ किसी तरह का भेदभाव बिल्कुल न करें. मां की कृपा आप पर बरसेगी अगर आप सभी कन्याओं के साथ भदेभाव नहीं करेंगे.
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इस उम्र की कन्याओं को भोजन
कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 सात तक होनी चाहिए. कन्या पूजन के समय इनकी संख्या कम से कम 9 होनी ही चाहिए. कन्याओं के साथ एक लड़के यानी बटुक को बिठाने की भी मान्यता है.
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