पांडवों ने स्वर्ग यात्रा से पहले इस देवी मंदिर में की थी पूजा, बिना दर्शन नहीं पूरी होती चारधाम यात्रा
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पांडवों ने स्वर्ग यात्रा से पहले इस देवी मंदिर में की थी पूजा, बिना दर्शन नहीं पूरी होती चारधाम यात्रा

Dhari devi mandir in uttarakhand: मां धारी देवी से जुड़ी एक विशेष बात यह है कि मां अपने आधे शरीर के साथ एक स्थान पर तो शरीर के बाकी हिस्से के साथ कालीमठ में पूजी जाती हैं. मां धारी के शरीर के ऊपरी भाग की पूजा एक जगह तो नीचे के शरीर की पूजा कालीमठ में होती है. 

dhari devi mandir

Dhari Devi Mandir: शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो चुका है. सारे देश में लोग मां दुर्गा की आराधना में लीन हैं. मां शक्ति का ही एक रूप हैं मां धारी देवी. मां धारी उत्तराखंड की संरक्षक देवी हैं. उन्हें चार धामों की रक्षक देवी के रूप में जाना जाता है. धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है. गढ़वाल मंडल के श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनन्दा नदी के किनारे मां धारी देवी अपने मंदिर में विराजमान हैं. यह देश के विभिन्न शक्तिस्थलों में से एक है.  

शरीर का आधा भाग कालीमठ में
मां धारी देवी से जुड़ी एक विशेष बात यह है कि मां अपने आधे शरीर के साथ एक स्थान पर तो शरीर के बाकी हिस्से के साथ कालीमठ में पूजी जाती हैं. मां धारी के शरीर के ऊपरी भाग की पूजा एक जगह तो नीचे के शरीर की पूजा कालीमठ में होती है. कालीमठ रुद्रप्रयाग में स्थित है.

दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं मां
मां धारी काली मां का ही एक स्वरूप हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. पहले मूर्ति में आपको एक लड़की फिर महिला और आखिर में बूढ़ी महिला का रूप दिखेगा.

पांडवों ने पूजा कर शुरू की थी स्वर्ग जाने की यात्रा
धारी देवी से जुड़ी एक कथा है. कहते हैं कि एक बार भयंकर बाढ़ से मंदिर बह गया था और धारी देवी की मूर्ति धारो गांव के पास रुक गई थी. गांव वालों ने मूर्ति से विलाप की आवाज सुनी और मंदिर स्थापित करने का आदेश हुआ. इसके बाद देवी का मंदिर बनाया गया. एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव स्वर्ग की यात्रा पर निकले थे तो उन्होंने धारी देवी मंदिर में पूजा की फिर आगे की यात्रा तय की. जगतगुरु शंकराचार्य भी धारी देवी मंदिर में रुके थे.

केदारनाथ आपदा से संबंध
मालूम हो कि 16 जून, 2013 को अलकनंदा हाइड्रो पावर ने निर्माण कार्य के लिए देवी के मूल मंदिर को हटा दिया था. इसके बाद केदारनाथ में आपदा आई थी. यह देश की सबसे खराब प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी. आपदा में बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. भक्तों का मानना है कि देवी के क्रोध के चलते यह आपदा आई थी. हालांकि नया मंदिर अब अपने मूल स्थान पर बनाया गया है. 

मंदिर तक कैसे पहुंचें
इस मंदिर से सबसे नजदीक जौलीग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है. इसके अलावा ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की दूरी 115 किलोमीटर है. आप हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से मां धारी देवी मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं. 

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