Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी आज, शुभ मुहूर्त के साथ जानें पूजा विधि
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Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी आज, शुभ मुहूर्त के साथ जानें पूजा विधि

Vijaya Ekadashi 2024: हिन्दू धर्म में एकादशी एक महत्वपूर्ण तिथि है, ऐसा कहा जाता है कि इस पावन तिथि को जो कोई भक्त पूर्ण विधि विधान के साथ व्रत का पालन करता है तो उस व्रती को उसके हर एक कार्य में सफलता प्राप्त होती है. विजया एकादशी को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को विजय मिलती है.

Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी आज, शुभ मुहूर्त के साथ जानें पूजा विधि

Vijaya Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व हैं. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. विजया एकादशी का भी धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है. विजया एकादशी का व्रत भी बाकी एकादशियों की तरह बहुत ही  कल्याणकारी है. ऐसा कहते हैं इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की आशीर्वाद मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.  फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस लेख में जानते हैं विजया एकादशी व्रत के धार्मिक महत्व के बारे में.

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कब रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत?
विजया एकादशी तिथि का आरंभ: 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर
विजया एकादशी तिथि का समापन: अगले दिन 7 मार्च को 4 बजकर 14 मिनट पर.

विजया एकादशी पारण मुहूर्त-7 मार्च
13:42:50 से 16:03:58 तक 

नोट- उदया काल से ही एकादशी तिथि 6 मार्च को पूरे दिन रहने वाली हैं. इसलिए विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा.

विजया एकादशी पूजा विधि
विजय एकादशी के एक दिन पहले एक शुद्ध स्थान या वेदी बनाएं और उस पर सप्त अनाज रखें. सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी का कलश उस पर स्थापित करें. एकादशी के दिन पहले सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. धूप, दीप, चंदन, फल, फूल और तुलसी आदि से श्री विष्णु की पूजा करें. व्रत के साथ भगवद कथा का पाठ करें. रात में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाएं ओर कलश को दान कर दें. तत्पश्चात व्रत का पारण करें. 

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विजया एकादशी का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था कि, ’एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है’. सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे प्राचीन माना जाता है. ऐसा  कहा जाता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ स्वर्ग लोक जाते हैं. इसके साथ ही व्रती को हर कार्य में सफलता मिलती है. लंका विजय करने की कामना से बकदाल्भ्य मुनि के आज्ञानुसार समुद्र के तट पर भगवान राम ने इसी एकादशी का व्रत किया था. जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान राम जी की विजय हुई थी.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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