Kajari Teej Puja samagri: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज व्रत किया जाता है..पौराणिक मान्यता के अनुसार कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं...तो वहीं अविवाहित युवतियों द्वारा अच्छे वर के लिए भी यह व्रत किया जाता है...जानते हैं कि कजरी तीज पर पूजा के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए...
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Kajari Teej 2023: हिंदू धर्म में कजरी तीज हरियाली तीज और हरितालिका तीज के समान ही महत्व रखती है. इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार कजरी तीज व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति और संतान की लंबी उम्र और अच्छी स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. उत्तर भारतीय राज्यों विशेषकर मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तर प्रदेश में कजरी तीज का अत्यधिक महत्व है. इस वर्ष कजरी तीज का व्रत 2 सितंबर 2023, शनिवार के दिन किया जाएगा. आइए इस लेख में जानते हैं कजरी तीज व्रत के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए और कैसे पूजा करनी है...
कजरी तीज 2023 शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह कृष्ण तृतीया तिथि प्रारंभ
1 सितंबर 2023, रात 11.50
भाद्रपद माह कृष्ण तृतीया तिथि समापन
2 सितंबर 2023, रात 08.49
सुबह 07:57 - सुबह 09:31
रात 09:45 - रात 11:12
कजरी तीज के लिए सामग्री
तीज माता की तस्वीर
शंकर-पार्वती की तस्वीर
पूजा की चौकी
मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी
धूप, दीपक
गाय का कच्चा दूध
शुद्ध जल
काजल, मेहंदी
धतूरा, दूर्वा
केले के पत्ते, बेलपत्र, नीम की डाली
कुमकुम, रोली, हल्दी
जनेऊ, सुपारी, अक्षत
गुड़, शहद, पंचामृत, मिश्री
नाक की नथ, वस्त्र
अबीर, गुलाल, नींबू, गेंहू
इत्र, फूल,कलश,घी, चंदन और नारियल, कलश
जरूर बनाएं सत्तू
कजरी तीज के दिन सत्तु बनाना शुभ माना जाता है. इस दिन चने की दाल, शक्कर, घी मिलाकर सातु या सत्तु जरुर बनाएं.
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इस विधि से करें पूजा
कजरी तीज व्रत के दिन सुबह में उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल की साफ करें और मंदिर की जगह पर गंगा जल छिड़कें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. माता पार्वती संग भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. इस दिन मिट्टी से मां पार्वती और शिव की मूर्ति घर पर स्वयं बना सकती हैं. इसके बाद शिव-गौरी का विधि विधान के साथ पूजा करें. मां गौरी को सुहाग की 16 सामग्री अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, गाय का दूध, गंगा जल और धतूरा चढ़ाएं. पूजा के बाद शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनें. रात में चंद्रमा की पूजा करें. चंद्रदेव को जल का अर्घ्य दें.
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