मां कालरात्रि को समर्पित है नवरात्रि का 7वां दिन, इस विधि से करेंगे पूजा तो नहीं सताएगा भूत-प्रेत-आत्मा का डर
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मां कालरात्रि को समर्पित है नवरात्रि का 7वां दिन, इस विधि से करेंगे पूजा तो नहीं सताएगा भूत-प्रेत-आत्मा का डर

chaitra Navratri Day 7 Bhog: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस दिन मां को भोग में गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है.  कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता. आइए जानते हैं पूजा विधि और महत्व.

chaitra Navratri 7th Day

Chaitra Navratri 7th Day: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि मां कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए ये रूप लिया था. ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता. इस लेख में जानते हैं कि नवरात्रि के सातवे दिन की पूजा विधि और भोग, मंत्र के बारे में.

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कब है चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन
सातवां चैत्र नवरात्रि-15 अप्रैल 2024
दिन सोमवार
मां कालरात्रि पूजा

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कैसा है मां स्वरूप
मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. मां कालरात्रि का स्वरूप उनके नाम की तरह की काला  आक्रामक और भयभीत करने वाला है. कालरात्रि मां के तीन नेत्र हैं, जोकि ब्रह्मांड की तरह गोल हैं.  मां कालरात्रि के हाथ में खड्ग और कांटा है. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. उनका ऊपर उठा दाहिना हाथ वर मुद्रा में है, इस तरफ के नीचे वाले हाथ में अभय मुद्रा है. बाईं ओर ऊपर वाले हाथ में कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग है. ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. ऐसा माना जाता है कि महा सप्‍तमी के दिन पूरे विध‍ि-व‍िधान से मां कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. 

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सातवे दिन की पूजा विधि
सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें और मां का ध्यान करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें. इस दिन लाल रंग के  कपड़े पहनें. फिर इसके बाद चौकी पर मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.पूजा की जगह को गंगा जल से शुद्धि करें.सप्तमी की रात को तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं. सुबह दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ मां के जयकारे लगाएं.  मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. दुर्गा चालीसा का पाठ करें, हवन करें और मां कालरात्रि को गुड़ से बनाएं मालपुए का भोग जरूर लगाएं. मां को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करें.मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें. 

मां कालरात्रि का भोग
महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें जैसे मालपुआ का भोग लगाया जाता है.

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मां की स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः ।।

सिद्ध मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि |

डिस्क्लेमर: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं.Zee Upuk इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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