Budhwar Ke Upay: बुधवार का दिन पार्वती पुत्र गणेश को समर्पित होता है. गजानन को प्रसन्न करने के लिए श्री गणपति स्तोत्रम् का पाठ कर सकते हैं.
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Buddhwar Ke Upay: आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि है. आज दिन बुधवार है. यह दिन हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित होता है. आज बसंत पंचमी भी है. ऐसे में इस बुधवार का महत्व और बढ़ गया है. इस खास मौके पर आपको गणपति बप्पा और मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है. गजानन को प्रसन्न करने के लिए श्री गणपति स्तोत्रम् का पाठ कर सकते हैं. इसके साथ ही मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए आप कुछ मंत्रों का जाप कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको लाभ होगा.
॥ श्री गणपति स्तोत्रम् ॥
जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।
पार्वत्या महिषासुरप्रमथनेसिद्धाधिपैः सिद्धये
ध्यातः पञ्चशरेण विश्वजितयेपायात्स नागाननः॥1॥
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणि-र्विघ्नाटवीहव्यवाड्
विघ्नव्यालकुलाभिमानगरुडोविघ्नेभपञ्चाननः।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदन-पविर्विघ्नाम्बुधेर्वाडवो
विघ्नाघौधघनप्रचण्डपवनोविघ्नेश्वरः पातु नः॥2॥
खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनंलम्बोदरं सुन्दरं
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धम-धुपव्यालोलगण्डस्थलम्।
दन्ताघातविदारितारिरुधिरैःसिन्दूरशोभाकरं
वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिंसिद्धिप्रदं कामदम्॥3॥
गजाननाय महसेप्रत्यूहतिमिरच्छिदे।
अपारकरुणा-पूरतरङ्गितदृशे नमः॥4॥
अगजाननपद्मार्कंगजाननमहर्निशम्।
अनेकदन्तं भक्तानामेक-दन्तमुपास्महे॥5॥
श्वेताङ्गं श्वेतवस्त्रं सितकु-सुमगणैः पूजितं श्वेतगन्धैः
क्षीराब्धौ रत्नदीपैः सुरनर-तिलकं रत्नसिंहासनस्थम्।
दोर्भिः पाशाङ्कुशाब्जा-भयवरमनसं चन्द्रमौलिं त्रिनेत्रं
ध्यायेच्छान्त्यर्थमीशं गणपति-ममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्॥6॥
आवाहये तं गणराजदेवंरक्तोत्पलाभासमशेषवन्द्यम्।
विघ्नान्तकं विघ्नहरं गणेशंभजामि रौद्रं सहितं च सिद्धया॥7॥
यं ब्रह्म वेदान्तविदो वदन्तिपरं प्रधानं पुरुषं तथान्ये।
विश्वोद्गतेः कारणमीश्वरं वातस्मै नमो विघ्नविनाशनाय॥8॥
विघ्नेश वीर्याणि विचित्रकाणिवन्दीजनैर्मागधकैः स्मृतानि।
श्रुत्वा समुत्तिष्ठ गजानन त्वंब्राह्मे जगन्मङ्गलकं कुरुष्व॥9॥
गणेश हेरम्ब गजाननेतिमहोदर स्वानुभवप्रकाशिन्।
वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथवदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥10॥
अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्डस्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति।
कवीश देवान्तकनाशकारिन्वदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥11॥
अनन्तचिद्रूपमयं गणेशंह्यभेदभेदादिविहीनमाद्यम्।
हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥12॥
विश्वादिभूतं हृदि योगिनां वैप्रत्यक्षरूपेण विभान्तमेकम्।
सदा निरालम्बसमाधिगम्यंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥13॥
यदीयवीर्येण समर्थभूता मायातया संरचितं च विश्वम्।
नागात्मकं ह्यात्मतया प्रतीतंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥14॥
सर्वान्तरे संस्थितमेकमूढंयदाज्ञया सर्वमिदं विभाति।
अनन्तरूपं हृदि बोधकं वैतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥15॥
यं योगिनो योगबलेन साध्यंकुर्वन्ति तं कः स्तवनेन नौति।
अतः प्रणामेन सुसिद्धिदोऽस्तुतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥16॥
देवेन्द्रमौलिमन्दार-मकरन्दकणारुणाः।
विघ्नान् हरन्तुहेरम्बचरणाम्बुजरेणवः॥17॥
एकदन्तं महाकायंलम्बोदरगजाननम्।
विघ्ननाशकरं देवंहेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥18॥
यदक्षरं पदं भ्रष्टंमात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवप्रसीद परमेश्वर॥19॥
॥ इति श्रीगणपतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
मां सरस्वती के इन श्लोक/मंत्रों का करें जाप
1. ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च।
2. सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा
3. अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी
वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा ॥
4. सरस्वती बीज मंत्र है:
ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः
5. सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
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