Ashadha Gupt Navratri 2024: ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां भगवती के गुप्त तांत्रिक विद्याओं की उपासना की जाती है. साथ ही इस दौरान तांत्रिक पद्धति से पूजा-पाठ की जाती है. आइए जानते है गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और मां की सवारी..
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Ashadha Gupt Navratri 2024: हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गुप्त नवरात्रि पर्व का शुभारंभ होता है. इस पर्व को आषाढ़ नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलावा मां काली और अन्य महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है.नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को असीम सुख-शांति की प्राप्ति होती है. सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि ही नहीं, बल्कि इसके अलावा गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में भी माता रानी की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इसमें महाविद्याओं की पूजा गुप्त तरीकों से पूजा होती है. जानें कब से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है और जानते हैं इस बार मां कौन सी सवारी पर आ रही हैं..
कब है आषाढ़ नवरात्रि?
हिंदू पंचांग में बताया गया है कि इस साल गुप्त नवरात्रि 06 जुलाई 2024, शनिवार से शुरू हो रही है.
माता की सवारी
हर साल की तरह इस बार भी मां एक विशेष सवारी पर सवार होकर आ रही है. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, विक्रम संवत 2081 में मां दुर्गा आषाढ़ नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. मां दुर्गा का घोड़े पर सवार होकर आना शुभ नहीं माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि माता रानी का घोड़े पर सवार होकर आना प्राकृतिक आपदा की तरफ इशारा है.
घटस्थापना की शुभ बेला
प्रतिपदा तिथि की शुभ वेला सुबह 7:37 से लेकर 9:19 तक, वहीं अभिजीत वेला का समय दोपहर 12:15 से लेकर 1:10 तक है. इस बीच घट स्थापना या कलश स्थापना करने का सबसे उत्तम समय माना जाता है.
कैसे करें कलश स्थापना
घट स्थापना (Ghatsthapana) करने के लिए सबसे पहले एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. फिर इसके ऊपर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें, मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तिथि तक हर दिन इसमें पानी का छिड़काव करें. कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त में एक तांबे या पीतल के कलश यो लोटे में पानी भरें और उसमें गंगाजल डालें. इसके ऊपर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर एक नारियल को रखें. इसे माता रानी की प्रतिमा के पास में रखें. ऐसा कहा जाता है कि आषाढ़ नवरात्रि में देवी मां की प्रतिमा के दाहिने तरफ काल भैरव और बाई तरफ गौर भैरव का पूजन करना चाहिए. वहीं, दाएं तरफ घी का और बाएं तरफ तिल के तेल का दीपक जलाएं. अगर आप व्रत कर रहे हैं तो नवचंडी यज्ञ कर सकते हैं, इससे भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी होती है. इसके साथ ही, माता रानी को हर दिन पुष्प माला, फूल फल आदि अर्पित करें. विधिवत पूजा करें.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.