Ram Aarti: प्राण प्रतिष्ठा के दिन जरूर पढ़ें प्रभु श्रीराम की आरती, पूरी होगी हर मनोकामना
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Ram Aarti: प्राण प्रतिष्ठा के दिन जरूर पढ़ें प्रभु श्रीराम की आरती, पूरी होगी हर मनोकामना

Ram Aarti Lyrics: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष् कार्यक्रम में हर कोई शामिल होना चाहता है, लेकिन अगर आपको अयोध्या जाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है तो आप घर पर ही राम आरती से भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं...

 

UP LIVE Ayodhya Ram Mandir Update

Ayodhya Ram Mandir: 550 सालों के इंतजार के बाद एक बार फिर रामलला मंदिर की छत के नीचे विराजमान होने जा रहे हैं. अयोध्या में राम मंदिर प्राण- प्रतिष्ठा का कार्यक्रम इतना भव्य होने जा रहा है कि हर देशवासी इसका गवाह बनना चाहता है. 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. जैसे-जैसे तारीख पास आ रही है लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है. प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं. इसके लिए प्रशासन कड़ी मेहनत कर रहा है. इस उत्सव से पहले ही पूरा देश राममय हो गया है. पूरे देश राम भजनों को सुन रहा है.  धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक दशहरा, राम नवमी और दिवाली जैसे त्योहारों में प्रभु राम की पूजा की जाती है. प्राण प्रतिष्ठा में कई लोगों को आमंत्रित किया गया है. अगर आपको अयोध्या जाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है तो आप घर पर ही राम आरती से भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

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।।भगवान श्री राम की आरती।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्. 
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्.. 
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्. 
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्..
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्. 
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्..
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं. 
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं..
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्.
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्..

।।छंद।। 
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों.
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो..
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली. 
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली.. 

।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि.
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे..

।।राम जी की दूसरी आरती।।
आरती कीजै रामचन्द्र जी की.
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की..
पहली आरती पुष्पन की माला.
काली नाग नाथ लाये गोपाला..
दूसरी आरती देवकी नन्दन.
भक्त उबारन कंस निकन्दन..
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे.
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे..
चौथी आरती चहुं युग पूजा.
देव निरंजन स्वामी और न दूजा..
पांचवीं आरती राम को भावे.
रामजी का यश नामदेव जी गावें..

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