UP News: यूपी के स्थायी डीजीपी को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है. अब तक न स्थायी डीजीपी के लिए कमेटी का गठन हो पाया है और न ही यूपी कैबिनेट से पास हुई नियमावली सार्वजनिक हुई है.
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UP DGP: प्रशांत कुमार यूपी के स्थायी डीजीपी बनेंगे या नहीं अभी तक इस पर सस्पेंस बरकरार है. अब तक न स्थायी डीजीपी के लिए कमेटी का गठन हो पाया है और न ही यूपी कैबिनेट से पास हुई नियमावली सार्वजनिक हुई है. नई नियमावली के मुताबिक अगर अगले 3 दिन में प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार के स्थायी डीजीपी बनने की राह मुश्किल हो सकती है.
अब तक गठित नहीं हुई कमेटी
यूपी को स्थायी डीजीपी मिले ढाई साल से ज्यादा बीत चुके हैं. मुकुल गोयल को हटाये जाने के बाद से प्रदेश में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति की जा रही है. यूपी सरकार ने स्थायी डीजीपी के लिए खुद नियमावली तैयार की है. जिसक नियुक्ति क लिए एक कमेटी गठित की गई है. यूपी कैबिनेट इस प्रस्ताव को पास कर चुकी है लेकिन अभी तक इसकी नियमावली सामने आई और न ही कमेटी का गठन हुआ है.
31 मई को रिटायर हो रहे प्रशांत कुमार
स्थायी डीजीपी के लिए जिस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है. उसमें डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए कम से कम 6 महीने का कार्यकाल बाकी होना चाहिए. कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार 31 मई 2025 को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अगर उनकी स्थायी डीजीपी पद पर नियुक्ति 30 नवंबर तक नहीं हुई तो उनका स्थायी डीजीपी बनना मुश्किल हो सकता है. यानी 3 दिन के भीतर कमेटी का गठन और उसकी बैठक होना जरूरी है.
कहां अटका मामला?
सूत्रों की मानें यूपी में स्थायी डीजीपी के लिए यूपी सरकार के खुद की नियमावली बनाने पर केंद्र सरकार भी पक्ष में नहीं है. कहा जा रहा है कि अगर राज्यों को डीजीपी बनाने का अधिकार मिल जाएगा तो अन्य राज्यों में भी ऐसा ही होने लगेगा. साथ ही अफसर केंद्र की अनदेखी करना शुरू कर देंगे. माना जा रहा है कि यह वजह भी हो सकती है कि अब तक स्थायी डीजीपी की प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई है.
कमेटी करेगी डीजीपी का चयन
स्थायी डीजीपी के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा. जिसके प्रमुख हाईकोर्ट के एक रिटायर जज होंगे. इसके अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव, यूपीएससी का नामित प्रतिनिधि, यूपी लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष या एक नामित प्रतिनिधि, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव और राज्य के एक रिटायर डीजीपी सदस्य होंगे. डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो साल का होगा.
पहले कैसे होती थी डीजीपी की नियुक्ति?
पहले यूपी डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपी सरकार को संघलोक सेवा आयोग पर निर्भर रहना होता था. राज्य सरकार की तरफ से यूपीएससी को डीजीपी की नियुक्ति के लिए उन अधिकारियों का पैनल भेजा जाता था, जिन्होंने पुलिस सेवा में 30 साल की सेवा दी है. साथ ही इनका कार्यकाल 6 महीने बाकी है. यूपी सरकार आयोग को तीन नामों का पैनल भेजती थी. जिनमें से एक को डीजीपी बनाया जाता था.
अस्थायी डीजीपी क्यों बन रहे?
यूपी में स्थायी डीजीपी के लिए यूपी सरकार और यूपीएससी के बीच पुरानी तकरार वजह बताई जाती है. दरअसल 11 मई 2022 को तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को सरकार ने हटा दिया था.उनकी जगह डीएस चौहान को अस्थाई डीजीपी बनाया गया. डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने यूपीएससी को प्रस्ताव भेजा. जिसमें डीएस चौहान और अन्य के नाम थे. लेकिन यूपीएससी ने इस पर मंजूरी न देते हुए मुकुल गोयल को हटाने का कारण पूछ लिया. इसके बाद से अस्थायी डीजीपी बनते चले आ रहे हैं.
ये 4 अफसर बन चुके अस्थायी डीजीपी
यूपी में अब तक चार अस्थाई डीजीपी बने हैं. 1988 बैच के आईपीएस डीएस चौहान 13 मई 2022 से 31 मार्च 2023 तक अस्थाई डीजीपी रहे. इसके बाद 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा 1 अप्रैल 2023 से 31 मई 2023 को यह जिम्मेदारी मिली. 1988 बैच के आईपीएस विजय कुमार ने 1 जून से 31 जनवरी 2024 तक अस्थायी डीजीपी की कमान संभाली. वहीं, प्रशांत कुमार को 1 फरवरी 2024 में डीजीपी बनाया गया था.
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