अप्रैल में ही 44 डिग्री के साथ बरसी आग, दूसरे चरण में भी वोटर इन वजहों से न दे दें झटका
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अप्रैल में ही 44 डिग्री के साथ बरसी आग, दूसरे चरण में भी वोटर इन वजहों से न दे दें झटका

Lok Sabha Chunav 2024: यूपी की बात करें तो 2019 के मुकाबले इस बाद चुनाव में 5 से 9 फीसदी कम वोटिंग हुई है, जिसने चुनाव आयोग ही नहीं बल्कि सियासी दलों की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इसकी अलग-अलग वजह बताई जा रही हैं.

अप्रैल में ही 44 डिग्री के साथ बरसी आग, दूसरे चरण में भी वोटर इन वजहों से न दे दें झटका

Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण की मतदान प्रक्रिया खत्म हो चुकी है. वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए चलाए गए अभियान आदि पहले चरण में रंग लाते नजर नहीं आए. यूपी की बात करें तो 2019 के मुकाबले इस बाद चुनाव में 5 से 9 फीसदी कम वोटिंग हुई है, जिसने चुनाव आयोग ही नहीं बल्कि सियासी दलों की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इसकी अलग-अलग वजह बताई जा रही हैं.

वोटिंग में कमी की एक वजह इस समय गेहूं की कटाई और शादियों का सीजन बताया जा रहा है. वहीं गर्मी की तपिश और लू भी कारण हो सकती है. इसके अलावा स्थानीय राजनीतिक समीकरण भी कम वोटिंग की वजह हो सकते हैं. हालांकि चुनाव आयोग अगले चरणों मे वोटिंग बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने के दावे किए हैं. आइए जानते हैं कि किस सीट पर कितनी वोटिंग हुई. 

मुरादाबाद
पहले चरण में मुरादाबाद सीट पर भी वोट डाले गए. यहां करीब 62 फीसदी मतदान हुआ जबकि 2019 में यह आंकड़ा 66 फीसदी के करीब था. यहां से बीजेपी प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह का निधन हो गया. सपा से यहां से रुचिवीरा और बसपा से इरफान सैफी चुनावी मैदान में हैं. यहां मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच माना जा रहा है. 

रामपुर 
रामपुर लोकसभा सीट पर मतदाता सुस्त दिखाई दिए. 2019 में यहां 64.10 फीसदी वोट पड़े  थे लेकिन इस बार 55.75 फीसदी ही मतदान हुआ. सपा प्रत्याशी को लेकर मची खींचतान भी इसमें एक वजह बताई जा रही है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि आजम खेमा अपने पक्ष के उम्मीदवार न होने के चलते चुनाव से दूर रहा. 

पीलीभीत
पीलीभीत में भी वोटिंग के आंकड़े निराशाजनक रहे. यहां इस बार 63.11 फीसदी ही मतदान हुआ. जो पिछली बार से 4 फीसदी कम है. मौसम के साथ ही कम वोटिंग के लिए सियासी गलियारों में एक वजह वरुण समर्थकों का एक्टिव न होना माना जा रहा है. 

कैराना, बिजनौर, नगीना
कैराना में भी इस बार केवल 62.46 फीसदी वोट पड़े जबकि 2019 में यहां 67.44 प्रतिशत मतदाओं ने वोट किया था. बिजनौर में भी इस बार  58.21 फीसदी मतदान हुआ जबकि 2019 में यह आंकड़ा 65 फीसदी के करीब था. 

मुजफ्फरनगर, सहारनपुर
मुजफ्फरनगर में इस बार 60.02 फीसदी वोटिंग हुई. लेकिन पिछली बार की तुलना में यह आंकड़ा कम ही रहा. वहीं वेस्ट यूपी की एक और सीट सहारनपुर में भी वोटिंग को लेकर उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई दी जितनी उम्मीद कीजा रही थी. यहां 66.65 फीसदी वोटिंग हुई जबकि 2019 में यहां वोटिंग का आंकड़ा 70 फीसदी के पार गया था. 

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