Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशीनगर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है. वो राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के नेता के तौर पर लोकसभा चुनाव के मैदान में कूद गए हैं. क्या वो भाजपा, सपा-कांग्रेस और बसपा के सामने कमाल कर पाएंगे.
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Swami Prasad Maurya News:बसपा-सपा से लेकर भाजपा में राजनीति कर चुके स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशीनगर लोकसभा सीट से शुक्रवार को नामांकन भरा. उन्होंने अपनी चल-अचल संपत्ति का हलफनामा भी दाखिल किया है. स्वामी प्रसाद मौर्या अब अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं और उसी के बलबूते मैदान में ताल ठोक रहे हैं. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद ने चुनाव आयोग के समक्ष जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमें उन्होंने करीब डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति दिखाई है. जबकि उनकी पत्नी की चल-अचल संपत्ति 6.5 करोड़ रुपये से ज्यादा है. उनके पास बंगला, गाड़ी से लेकर तगड़ा बैंक बैलेंस भी है.
स्वामी प्रसाद मौर्य वैसे तो रायबरेली जिले में ऊंचाहार के रहने वाले हैं. लेकिन पडरौना कुशीनगर से कई बार चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार लोकसभा चुनाव के मैदान में वो हैं. हलफनामे के अनुसार, स्वामी प्रसाद के पास करीब 20 लाख रुपये की चल संपत्ति है. जबकि आवास और अन्य अचल संपत्तियों को जोड़ा जाए तो यह 1.20 करोड़ रुपये होती है. मगर उनकी बीवी शिवा मौर्य के पास बैंक खाते में 72 लाख रुपये से ज्यादा जमा हैं. उनके पास महंगी कृषि भूमि और आलीशान मकान भी है. स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्या भी बदायूं से लोकसभा सांसद रही हैं. लेकिन विवाहित होने के कारण उसकी संपत्ति को इसमें जोड़ा नहीं गया है. संघमित्रा को इस बार चुनाव में टिकट नहीं मिला है.
स्वामी प्रसाद मौर्य पर राम चरित मानस के अपमान समेत कई विवादित बयानों को लेकर मुकदमे दर्ज हैं. प्रतापगढ़ की कुंडा तहसील से ताल्लुक रखने वाले स्वामी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शुरुआती पढ़ाई के बाद छात्र राजनीति का रुख किया. वो 1981 से करीब आठ साल तक चौधरी चरण सिंह के लोकदल में महा मंत्री के तौर पर काम करते रहे.
कई चुनावी हार के बाद ऊंचाहार विधानसभा चुनाव में उन्हें कामयाबी मिली. फिर 1993 में स्वामी प्रसाद मायावती की पार्टी बसपा से जुड़े और चुनाव जीतकर मंत्री बने.
एक वक्त तो स्वामी प्रसाद मौर्य को मायावती का उत्तराधिकारी तक माना जाने लगा था. लेकिन बसपा में अन्य नेताओं की तरह दो नंबर के दावेदारी के बीच उन्हें झटका मिला. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद वो मंत्री तो बने और पडरौना विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर लगातार हैट्रिक लगाकर विधायक बने. मगर 2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में आए गए और फिर योगी आदित्यनाथ सरकार में भी पिछड़ा वर्ग के इस नेता को मंत्रिपद मिला. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में सरकार बदलने की सोच पाले स्वामी प्रसाद मौर्य सपा के पाले में चले गए, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ा और चुनाव में उन्हें बुरी तरह हार मिली.
स्वामी प्रसाद मौर्य के पास खुद कोई कार नहीं है, लेकिन पत्नी कार और मकान की मालकिन भी हैं. स्वामी प्रसाद के पास एख रायफल औ एक पिस्टल है. उनकी पत्नी शिवा के पास भी दो हथियार हैं. लखनऊ, गाजियाबाद, रायबरेली के ऊंचाहार से लेकर महराजगंज तक उनकी प्रापर्टी हैं.
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