UP Lok Sabha Election 2024: 7 फीसदी राजपूत वोटर चुनाव में डालेगा कितना असर, यूपी में क्षत्रिय समाज की नाराजगी दूर करने में जुटी बीजेपी
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UP Lok Sabha Election 2024: 7 फीसदी राजपूत वोटर चुनाव में डालेगा कितना असर, यूपी में क्षत्रिय समाज की नाराजगी दूर करने में जुटी बीजेपी

UP Lok Sabha Election 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ संगठन BJP के बहिष्कार का आह्वान क्यों कर रहे हैं. इससे सियासी समीकरणों पर कितना असर होगा और क्षत्रिय समाज की वेस्ट यूपी में किन जिलों में कितनी आबादी है... आइए आंकड़ों पर डालते हैं नजर

UP Lok Sabha Election 2024

UP Lok Sabha Election 2024: कुछ महीने पहले तक तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए सरल प्रतीत हो रहा था लेकिन अब कुछ विपरीत परिस्थतियां सामने आने लगी है जिससे लगता है कि यूपी के इस क्षेत्र को जीत पाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर न साबित हो जाए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर चुनाव के ठीक पहले बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं. कुछ समुदायों के विरोध और बहिष्कार के भंवर में बीजेपी फंसती नजर आ रही है. सहारनपुर के बाद मेरठ में क्षत्रिय समाज की होने वाली पंचायत उसकी मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. सहारनपुर, कैराना और मुजफ्फरनगर जैसी कांटे की टक्कर वाली सीटों पर ऐसी नाराजगी नतीजों पर असर डाल सकती है.  ऐसे में कई सवाल उठते हैं, जैसे कि बीजेपी से राजपूत समाज क्यों नाराज हैं, पश्चिमी यूपी की लोकसभा सीटों पर कुछ संगठन द्वारा किया जा रहा BJP का बहिष्कार  क्या पार्टी का समीकरण बिगाड़ पाएगा? यहां के ठाकुर समाज से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं? आइए इन सभी सवालों के जवाब तलाशते हैं. 

जो भाजपा को हराएगा...
यूपी के मिशन 80 के लक्ष्य को बीजेपी पश्चिमी यूपी के रास्ते भी पाना चाहती है और इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से आगे भी बढ़ रही है. लेकिन लगता है कि उसकी योजना पर इस क्षेत्र का ठाकुर क्षत्रिय समाज पानी फेरकर ही मानेगा. क्षत्रियों ने बीजेपी के विरोध की घोषणा क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में कर दिया है. क्षत्रिय समाज ने बेहद तल्खी के साथ कहा है कि सम्मान से समझौता कतई नहीं किया जाएगा और इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाया जाएगा. खास तौर से पश्चिमी यूपी के कैराना, मुजफ्फरनगर व सहारनपुर लोकसभा सीट के ठाकुर बहुल गांवों में विशेषकर घोषणा की जा रही है कि जो भाजपा को हराएगा क्षत्रिय समाज उसे ही वोट करेगा. बीजेपी के खिलाफ सहारनपुर के नानौता में क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ का आयोजन हुआ जिसमें हरियाणा और राजस्थान समेत कई और प्रदेशों से क्षत्रिय समाज के नेता मौजूद रहे.

दरअसल, क्षत्रिय समाज का आरोप है कि पश्चिमी यूपी में ठाकुरों की अनदेखी हो रही है. उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर किया जा रहा है. यूपी के इस क्षेत्र के कई जिलों में अच्छी संख्या होने के बाद भी उन्हें नजरंदाज किया गया. आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार डॉ संजीव बालियान हैं, मेरठ लोकसभा सीट से अरुण गोविल उम्मीदवार हैं, सहारनपुर लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार राघव लखनपाल है. कैराना लोकसभा सीट से मैदान में प्रदीप चौधरी उतारे गए हैं. गाजियाबाद लोकसभा सीट से अतुल गर्ग प्रत्याशी है. 

ठाकुर समाज में नाराजगी क्यों 
ब्राह्मण-वैश्य के साथ क्षत्रिय समाज बीजेपी का कोर वोटर रहा है, लेकिन इस बार उनकी नाराजगी देखी जा रही है. चुनाव की तारीखें नजदीक हैं. गाजियाबाद में क्षत्रिय समाज को टिकट नहीं देने से भी असंतोष है. यहां रिकॉर्ड 5 लाख वोटों से जीतने वाले जनरल वीके सिंह का टिकट काटकर अतुल गर्ग को उतारा गया है. आरोप यहां तक लगाया गया है कि राजपूत समाज के 80 सांसदों के टिकट काटे गए हैं. सहारनपुर के नानौत में रविवार को हुए ठाकुर समाज के पंचायत में हजारों लोग पहुंचे. इनका आरोप है कि राजनीतिक रूप से बीजेपी ठाकुर समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है.

रूपाला का बयान
एक और बात ये है कि गुजरात से भी इसका कनेक्शन जोड़ा जाने लगा है. दरअसल, हालही में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला राजकोट ने एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए महाराजाओं पर विवादित बयान दिया था. राजकोट में एक जनसभा को 22 मार्च को संबोधित करते हुए रूपाला ने कथित तौर पर कहा था कि विदेशी शासकों के और अंग्रेजों के उत्पीड़न के आगे महाराजाओं ने घुटने टेक दिए. उनके साथ इन महाराजाओं ने रोटी तोड़ी, उनसे अपनी बेटियों की शादी भी की. उनके बयान के विरोध में कुछ महिलाओं ने जौहर करने तक की घोषण की थी. हालांकि रूपाला ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली थी लेकिन इससे भी क्षत्रिय समाज का गुस्सा नहीं ठंडा हुआ है. यूपी से लेकर गुजरात राजस्थान में इनके और बीजेपी के खिलाफ क्षत्रिय संगठन में रोष है. 

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यूपी में ठाकुर जाति से जुड़े आंकड़े  
अब क्षत्रिय संगठन इस तरह का माहौल बनाने पर तूले हैं जैसे बीजेपी उनकी दुश्मन है. बीजेपी के अब तक यूपी के 63 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए हैं. इनमें आठ ठाकुर जाति के उम्मीदवार है और टिकट काटे जाने की संख्या केवल एक है.
मुरादाबाद से सर्वेश सिंह
लखनऊ से राजनाथ सिंह
अकबरपुर से देवेन्द्र सिंह भोले
हमीरपुर से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल
फैजाबाद से लल्लू सिंह
गोंडा से कीर्ति वर्धन सिंह
डुमरियागंज से जगदंबिका पाल
जौनपुर से कृपा शंकर सिंह.

बड़ा विरोधाभास 
यूपी में सात प्रतिशत के करीब ठाकुर जाति के वोटर हैं. हालांकि प्रदेश में करीब 48 विधायक राजपूत या क्षत्रिय समाज के हैं जिनमें 42 अकेले बीजेपी की ओर से हैं. चार सपा के हैं और बचे अन्य दलों के हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसी समुदाय के हैं. एक दौर में ये समाज कांग्रेस के कोर वोटर हुआ करते थे, फिर समाजवादी पार्टी के हुए और एक समय में बीएसपी के साथ खड़े रहे. मौजूदा समय में बीजेपी के कट्टर समर्थक के रूप में गिने जा रहे हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी क्षत्रिय समाज की इसकी नाराजगी को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं.

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