Bihar Politics Updates: लोकसभा चुनाव की सियासी हल-चल के बीच बिहार सीएम नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बीजेपी के सहयोग से नीतीश कुमार नई सरकार का गठन करेंगे. सरकार में भारतीय जनता पार्टी के कोटे से दो डिप्टी सीएम होंगे. जानें पूरा घटनाक्रम....
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Bihar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल राजेन्द्र वी आर्लेकर को रविवार सुबह अपना इस्तीफा सौंप दिया. नीतिश कुमार डेढ़ साल बाद महागठबंधन से अलग हो गए हैं. नीतीश कुमार के भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से शाम तक नयी सरकार के गठन की संभावना है. बीजेपी ने जदयू के नेता संजय झा को समर्थन पत्र सौपा है. सरकार में भारतीय जनता पार्टी के कोटे से दो डिप्टी सीएम होंगे. बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने कहा,'पहले का गठबंधन छोड़कर नया गठबंधन बनाएंगे.'
केसी त्यागी का खुलासा
नीतीश कुमार राज्यपाल को इस्तीफा दे चुके हैं. I.N.D.I.A. से अपना गठबंधन तोड़ चुके हैं. बिहार में नई सरकार बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है. इस बीच, जेडीयू के दिग्गज ने नेता केसी त्यागी ने बड़ा खुलासा किया है. केसी त्यागी ने बताया कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन का नेतृत्व हड़पना चाहती थी. ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के जरिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे करके कांग्रेस ने चाल चली थी. हालांकि, खरगे ने बाद में खुद मना कर दिया था कि वो पीएम कैंडिडेट नहीं बनेंगे.
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नीतीश ने क्यों तोड़ा गठबंधन?
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बताया कि नीतीश कुमार ने सबको साथ लाकर इंडिया गठबंधन बनाया था. देशभर में घूम-घूमकर सबको साथ लाए. पहले ही तय हो गया था कि इंडिया गठबंधन बिना पीएम कैंडिडेट घोषित किए ही लोकसभा चुनाव लड़ेगा. लेकिन कांग्रेस के मन में खोट था. उन्होंने इंडिया का नेतृत्व हड़पने के लिए खरगे का नाम आगे किया था. माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन में बात नहीं बनने से नीतीश कुमार नाराज थे. कांग्रेस का रवैया उन्हें अखरा था.
कांग्रेस के सामने है अस्तित्व का संकट
केसी त्यागी ने ये भी आरोप लगाया कि कांग्रेस, क्षेत्रीय पार्टियों के नेतृत्व को खत्म करना चाहती है. उन्होंने कहा कि, चाहे ममता बनर्जी की पार्टी हो, समाजवादी पार्टी हो, जेडीयू हो, शरद पवार की पार्टी हो या कोई और, ये सभी पार्टियां कांग्रेस से लड़कर ही बनी हैं. कांग्रेस इस वक्त सर्वावाइल के दौरे में हैं. पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष बनाने तक के लिए जरूरी सीटें नहीं ला पा रही है. कांग्रेस के सामने अस्तित्व का संकट है. इसलिए वो क्षेत्रीय पार्टियों की लीडरशिप को खत्म करना चाहती है.