यूपी की 40 लोकसभा सीटों पर निर्णायक दलित वोट, आगरा से अंबेडकरनगर तक बदले सत्ता का समीकरण
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यूपी की 40 लोकसभा सीटों पर निर्णायक दलित वोट, आगरा से अंबेडकरनगर तक बदले सत्ता का समीकरण

Lok Sabha Election 2024 : देश के सबसे बड़े राज्य उत्‍तर प्रदेश में 21.1 फीसदी अनुसूचित जाति यानी दलितों की आबादी है. आजादी के बाद यह आबादी कांग्रेस के साथ खड़ी रही. इसके बाद बसपा ने सेंध लगाई और करीब ढाई दशक तक उसे समर्थन मिलता रहा. 

UP Reserved Seats For Scheduled Caste

विशाल सिंह/लखनऊ : कहा जाता है कि सियासत में दिल्‍ली का रास्‍ता उत्‍तर प्रदेश से होकर गुजरता है. वहीं, पिछले कुछ दशकों से यूपी की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभा रही है. जब बात जातीय समीकरण की होती है तो सबकी निगाहें दलित आबादी पर आकर रुक जाती हैं. देश के सबसे बड़े राज्य उत्‍तर प्रदेश में 21.1 फीसदी अनुसूचित जाति यानी दलितों की आबादी है. आजादी के बाद यह आबादी कांग्रेस के साथ खड़ी रही. इसके बाद बसपा ने सेंध लगाई और करीब ढाई दशक तक उसे समर्थन मिलता रहा. अब इस बड़ी आबादी में बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब होती दिख रही है. 

पहले कांग्रेस फ‍िर बसपा को मिला समर्थन 
देश आजाद होने के चार दशक बाद तक केंद्र की सत्‍ता में कांग्रेस पार्टी की झोली में दलित वोट जाता रहा. इसके बाद दलितों के मसीहा कहे जाने वाले कांशीराम के खाते में यह वोट बैंक चला गया. यूपी में बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने दलितों के वोट बैंक के चलते चार बार सत्‍ता हासिल की. बसपा सुप्रीमो बतौर सीएम काबिज रहीं. 

बीजेपी दलित वोटरों में लगा रही सेंध 
इसके बाद अब दलित वोट बैंक पर भाजपा सहित दूसरे अन्‍य दल नजरें गड़ाए हैं. भाजपा ने एक दशक पहले देश के बड़े दलित नेताओं से हाथ मिलाकर लोकसभा चुनाव में सफलता हासिल कर केंद्र में मोदी सरकार बनाई. यूपी में भी यही फॉर्मूला अपनाया जा रहा है. बीजेपी दलित वोटरों पर सेंध लगा रही है. 

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें
यूपी में अनुसूचित जाति के लिए जो सीटें आरक्षित की गई हैं, उनमें नगीना, बुलंदशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, बांसगांव, लालगंज, मछलीशहर व राबर्ट्सगंज शामिल हैं. 

यूपी में ये 17 सीटें सुरक्षित 
दलितों को रिझाने के लिए लगातार उनके हितों की योजनाएं चलाने वाली मोदी सरकार ने अहम पदों पर दलितों को तव्वजो भी दी. नतीजा यह रहा कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से अनुसूचित जाति की 17 आरक्षित सीटों पर बसपा सहित दूसरे दलों की पकड़ ढीली होती जा रही है. 

इन जिलों में 25 फीसदी से अधिक दलित आबादी
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. हालांकि, राज्य की करीब 40 सीटें ऐसी हैं जहां की 25 फीसदी से ज्‍यादा आबादी अनुसूचित जाति की है. इनमें वे सीटें भी शामिल हैं जो आरक्षित नहीं हैं, लेकिन उन पर जीत की चाबी दलितों के हाथ में है. 

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यूपी में सुरक्षित सीटें भी नहीं जीत सकी बसपा 
बीजेपी पूरी शिद्दत से दलित वोटरों में गहरी सेंध लगाने की कोशिश का नतीजा रहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा एक भी सुरक्षित सीट पर जीत दर्ज नहीं करा सकी. वहीं, इस बार लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस साथ में हैं, जबकि बसपा अकेले ही लड़ने को तैयार है. क्लीन स्वीप के लक्ष्य के साथ चुनाव मैदान में उतरी भाजपा सभी 17 सुरक्षित सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जाति महासम्मेलन, दलित सम्मेलन और दलित बस्तियों में भोजन के जरिए यह बताने में लगी है कि मोदी-योगी की सरकार ही अनुसूचित वर्ग का पूरा ध्यान रख रही हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि इस वोट बैंक पर भाजपा पूरी तरह से जुटी हुई है. 

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