UP News : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा के मुखिया अखिलेश यादव पर करारा सियासी वार किया है. रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से पहले ब्रजेश पाठक ने अखिलेश द्वारा राम मंदिर उद्घाटन में का न्योता स्वीकार न करने को मुद्दा बनाया है.
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दर्जन लोकसभा सीटों पर निर्णायक सपा के यादव वोटबैंक में बीजेपी ने बड़ी सेंध लगाने का अभियान तेज कर दिया है. सोमवार को लखनऊ में यादव समाज के एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा. पाठक ने अखिलेश द्वारा राम मंदिर उद्घाटन में आने का न्योता स्वीकार न करने की याद दिलाते हुए कहा, ''जो प्रभु श्रीराम का न हुआ, वो यदुवंशी श्रीकृष्ण का कैसे होगा.''
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उन्होंने कहा है ''जो प्रभु श्रीराम का नहीं हुआ वो भगवान श्रीकृष्ण का कैसे होगा''. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक सोमवार को लखनऊ में यादव मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
डिप्टी सीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ''मतलब परस्त राजनीतिक पार्टियों से सावधान रहें. श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला अदालत में है. सरकार श्रीकृष्ण जन्म भूमि की लड़ाई लड़ रही है. अदालत में पूरी पैरवी कर रही है. सरकार आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. उत्तर प्रदेश के इतिहास को देखे, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण कण-कण में हैं. हम सभी के रोम-रोम में हैं.'
यादव समाज के बिना समाज पूरा नहीं
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि यादव समाज के बगैर समाज की पूर्णता नहीं है. यादव समाज ने शुरूआत से ही भारत की संस्कृति को मजबूत करने का काम किया है. जब भी हम यादव समाज की बात करते हैं तब हम अपने आरध्य श्रीकृष्ण जी को याद करते हैं. हम सभी श्रीकृष्ण के वंशज हैं. हमारे माता-पिता ने मेरा नाम भी भगवान के नाम पर रखा है.
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उत्तर प्रदेश में करीब 9 फीसदी यादव मतदाता हैं, जबकि एक दर्जन यादव बाहुल्य लोकसभा सीटें हैं. यूपी में एटा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़, फैजाबाद, बलिया, कुशीनगर, संत कबीरनगर और जौनपुर यादव बाहुल्य सीटें हैं. इन जिलों में 15 से 18 फीसदी वोटर सीटें हैं. जबकि प्रदेश की 44 जिलों में यादव वोटर 9 से 10 फीसदी तक हैं. सपा इनमें से तमाम सीटों पर एमवाई समीकरण के जरिये चुनाव जीतती रही है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश में भी मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर पहले ही बड़ा दांव चल दिया है. इस बार भी उसकी नजर ओबीसी समुदाय की बड़ी ताकत यादव वोट बैंक में बड़े वर्ग को अपने पाले में लाने की है.