Rampur Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और आजम खां के बीच सियासी दोस्ती अब खुलकर अदावत में बदल गई है. मुरादाबाद के बाद रामपुर लोकसभा सीट पर आजम खां ने सपा प्रमुख को चुनौती दी है.
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Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में सियासी भूचाल ने विकराल रूप ले लिया है.आजम खां और अखिलेश यादव के बीच सियासी दोस्त अब खुलकर अदावत में तब्दील हो गई है. आजम खान ने मुरादाबाद के बाद रामपुर लोकसभा सीट पर खेला कर दिया. रामपुर में सपा और अखिलेश यादव की ओर से अधिकृत प्रत्याशी भले ही नई दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी बनाए गए हों, लेकिन आजम खां के करीबी और सपा नेता आसिम रजा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है. वहीं सपा के एक और नेता और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अब्दुल सलाम ने भी नामांकन का समय खत्म होने के ऐन वक्त पर पर्चा दाखिल कर दिया.
बैकफुट पर अखिलेश
साफ है कि आज़म खान के लगातार दबाव के बाद अखिलेश यादव बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. दिन भर चले घमासान के बाद मुरादाबाद लोकसभा सीट से रुचिवीरा को समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया गया है. रुचि वीरा आजम खां की करीबी हैं. सपा की ओर से मंगलवार को मुरादाबाद के मौजूदा सांसद डॉ. एसटी हसन ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन रुचि वीरा का नाम उछलने लगा. खबरें आईं कि एसटी हसन का नाम काटकर रुचिवीरा को प्रत्याशी बनाया जाएगा तो हसन समर्थकों ने रुचि वीरा को बाहरी बताकर पुतले फूंके. लेकिन शाम को यह सपा ने तय किया कि रुचि वीरा ही मुरादाबाद से सपा प्रत्याशी होंगी. एसटी हसन ने भी कहा कि पार्टी का फैसला उन्हें मंजूर है.
वहीं रामपुर सीट पर सस्पेंस बना हुआ है. सपा ने यहां मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिया था, लेकिन आज़म खान के करीबी आसिम रजा क्या हथियार डालेंगे. रजा ने खुद को घोषित सपा प्रत्याशी बताया है. सवाल है कि क्या रामपुर में भी अखिलेश बैकफुट पर आएंगे.
अखिलेश को लड़ाना चाहते थे आजम
दरअसल, आजम खां चाहते थे कि रामपुर में उनके किले को बचाने के लिए अखिलेश यादव खुद मैदान में ताल ठोंके, लेकिन सपा प्रमुख ने इस नसीहत तो ज्यादा तवज्जो नहीं दी. ऐसे में सीतापुर जेल में बंद आजम खां की ओर से रामपुर सपा इकाई के नेता आसिम रजा ने पहले तो चुनाव के बहिष्कार का पत्र जारी किया. बाद में सपा के अधिकृत प्रत्याशी मुहिबुल्लाह के नामांकन के ठीक बाद आसिम राजा ने भी पर्चा दाखिल कर दिया.52 फीसदी मुस्लिम आबादी में अगर सपा के दो नेता टकराए तो सीधा फायदा बीजेपी को होने वाला है. आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी तंजीन फातिमा अभी जेल में हैं और उनके चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है.
मुरादाबाद के बाद नया ड्रामा
इससे पहले मुरादाबाद में बुधवार को बड़ा ड्रामा सपा में देखने को मिला. आजम खां की करीबी रुचि वीरा ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया, जबकि डॉ. एसटी हसन मंगलवार को नामांकन दाखिल कर चुके थे. रुचि वीरा के पास अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर सिंबल का एबी फॉर्म होने से जिला निर्वाचन अधिकारी मानवेंद्र सिंह ने उन्हें ही सपा का अधिकृत प्रत्याशी माना. सूत्रों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम से नाराज एसटी हसन ने अपना नामांकन वापस लेने का मन बना लिया है. वो सपा के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते.
दौड़ कर कराया नामांकन
अखिलेश के मोहिबुल्ला बनाम आजम के आसिम रजा के बीच सपा नेता अब्दुल सलाम का नामांकन कराना भी दिलचस्प रहा. अब्दुल सलाम बुधवार को नामांकन कराने का वक्त खत्म होने के बीच दौड़ते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे. सलाम समाजवादी पार्टी के नेता के साथ पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. सलाम ने भी दौड़कर रेस पूरी की और अपना नामांकन दाखिल कर दिया. समय कम बचा था, इसलिए उन्होंने अपने पांच समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट के लिए दौड़ लगाई. ऐसे में अब तक सपा ने तीन नेता पर्चा दाखिल कर चुके हैं. सपा ने अधिकृत उम्मीदवार के तौर पर मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी ने पर्चा भरा है. असीम राजा भी नामांकन कर चुके हैं, वो सपा के जिलाध्यक्ष और आज़म खां के बेहद करीबी नेता हैं. रामपुर में भी समाजवादी पार्टी में खेमेबंदी साफ दिख रही है.
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