Alopi Devi Mandir: यदि आप महाकुंभ में स्नान के लिए जा रहे हैं तो अलोपी देवी मंदिर के दर्शन करना न भूलें. यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां पर उनके दाहिने हाथ की उंगली गिरी थी.
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What is Story of Alopi Devi Temple: प्रयागराज का नाम इन दिनों देश-दुनिया की जुबान पर चढ़ा हुआ है. ऐसा हो भी क्यों नहीं, आखिर वहां पर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक-आध्यात्मिक मेला महाकुंभ जो चल रहा है. 45 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में रोजाना लाखों लोग प्रयागराज पहुंचकर गंगा-यमुना के संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ हासिल कर रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो इस समय प्रयागराज में आस्था, समर्पण और भक्ति की ऐसी रसधारा बह रही है, जिसमें डूबने से कोई भी सनातनी खुद को नहीं रोक पा रहा है. यदि आप भी महाकुंभ जाने का प्लान कर रहे हैं तो वहां दिव्य अलोपी दिव्य मंदिर के दर्शन करना न भूलें. यह कोई साधारण मंदिर नहीं है बल्कि मां सती से जुड़ी एक शक्तिपीठ है. जहां पर दिव्यता और पॉजिटिव एनर्जी हर समय महसूस करती है.
मंदिर में बिना प्रतिमा के होती पूजा
प्रयागराज के अलोपी देवी मंदिर को अलोपी शंकरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. खास बात ये है कि यहां पर देवी सती की कोई प्रतिमा नहीं है बल्कि इस मंदिर में लकड़ी की एक पालकी है. इस पालकी को लाल रंग के कपड़े से ढका जाता है, जिसे श्रद्धालु छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह अद्वितीय पूजा पद्धति इसे बाकी मंदिरों से अलग और खास बना देती हैं. इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगी रहती है. खासकर महाकुंभ में तो इस मंदिर के दर्शनों के लिए तांता लगा हुआ है.
क्या है अलोपी मंदिर की कथा?
प्रयागराज का अलोपी देवी मंदिर एक शक्तिपीठ है. कहते हैं कि माता सती के देहांत के बाद जब भगवान शिव उनके शव को गोद में लेकर विलाप करते हुए जगह-जगह भटक रहे थे तो उनके रुदन- दुख से सभी देवता-देवी विचलित हो गए. महादेव को बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. इसके बाद जहां-जहां माता सती के शव के टुकड़े गिरे, वहां पर 51 शक्तिपीठ बन गए.
चमत्कारिक है कुंड का जल
मान्यता है कि प्रयागराज में जहां माता सती के दाहिने हाथ की उंगलियां गिरी थी, वह आगे चलकर एक पावन तीर्थ स्थान बन गया. इस मंदिर को अलोपी इसलिए कहा जाता है क्योंकि माता सती की कटी उंगली नीचे गिरने के बाद गायब हो गई थी. इसलिए उसे अलोपी मंदिर कहा गया. इस मंदिर को आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र माना जाता है. इस मंदिर के पास एक कुंड बना हुआ है, जिसके जल को चमत्कारी माना जाता है. कहते हैं कि उस कुंड में स्नान करने से अपूर्व शारीरिक- मानसिक शांति का अनुभव होता है. साथ ही कई प्रकार के शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)