Mahakumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है. इससे पहले अक्षयवट कॉरिडोर पर हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. संगम किनारे स्थित अक्षयवट की क्या है पौराणिक और धार्मिक मान्यता?.
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 कई मायनों में खास होने जा रहा है. इस बार महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को पवित्र अक्षय वट का दर्शन कॉरिडोर के जरिए होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले ही अक्षय वट कॉरिडोर का उद्घाटन किया. इसके बाद से अक्षय वट को आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है. महाकुंभ से पहले ही यहां पर हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु लंबी लाइनों में लगकर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन तट पर स्थित अक्षय वट की क्या है पौराणिक और धार्मिक मान्यता...
अक्षयवट कॉरिडोर का दर्शन कर सकेंगे
तीर्थराज प्रयाग में 33 कोटि के देवी देवताओं का वास होता है. इसी लिए महाकुंभ के दौरान संगम की रेती का महत्व भी बेहद खास हो जाता है. महाकुंभ में संगम स्नान विशेष फलदायी माना जाता है, लेकिन संगम स्नान का पूर्ण लाभ श्रद्धालुओं को तभी प्राप्त होता है, जब वह त्रिवेणी स्नान के बाद अक्षय वट का दर्शन करते हैं. सैकड़ों साल से आम श्रद्धालुओं को सुरक्षा कारणों से किले के अंदर स्थित अक्षय वट के दर्शन की अनुमति नहीं थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के चलते अक्षय वट अब कॉरिडोर का रूप ले चुका है. इसके चलते इस बार महाकुंभ में तीर्थराज प्रयाग आने वाले करोड़ों श्रद्धालु आसानी से अक्षय वट का दर्शन लाभ पा सकेंगे.
पुराणों और धर्म ग्रंथों में अक्षयवट का जिक्र
त्रिवेणी के तट पर स्थित अक्षय वट की पौराणिक और धार्मिक मान्यता है. पुराणों से लेकर तमाम धार्मिक ग्रंथो में अक्षय वट वृक्ष का जिक्र मिलता है. मान्यता है कि अक्षय वट के दर्शन से मानव को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि संगम स्नान के बाद अक्षय वट का दर्शन करने पर ही स्नान का पूर्ण लाभ मिलता है. यही वजह है कि देश और दुनियां के कोने कोने से संगम आने वाले श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद अक्षय वट दर्शन के लिए कतारों में लगकर पहुंच रहें हैं.
भगवान राम ने तीन दिन बताए थे रात
अक्षयवट दर्शन के महत्व का जिक्र तमाम धार्मिक ग्रंथों में भी है. खुद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम माता सीता के साथ वन जाते समय तीन रात अक्षय वट के नीचे गुजारे थे. तीर्थ पुरोहित प्रदीप पाण्डेय के मुताबिक, धर्म ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जब प्रलयकाल आएगा और धरती जलमग्न हो जाएगी तब भी अक्षय वट हरा भरा ही रहेगा. उन्होंने कहा कि इसे कई बार मुगल आक्रांताओं ने भी नष्ट करना चाहा, लेकिन इस वृक्ष पर कोई असर नहीं हुआ.
महत्वपूर्ण स्नान पर अक्षयवट दर्शन पर रहेगी रोक
महाकुंभ से पहले अक्षय वट के खुलने से श्रद्धालुओं में हर्ष का माहौल है. लाइनों में लगकर अक्षय वट दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि यह महाकुंभ के लिए सबसे बड़ी सौगात है. अक्षय वट दर्शन के साथ अब संगम स्नान का उन्हें पूर्ण लाभ मिल पाएगा. अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि अक्षय वट कॉरिडोर को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है. सुबह 6.30 से शाम 6.30 बजे तक श्रद्धालु पवित्र अक्षय वट के दर्शन कर सकतें हैं. उन्होंने बताया कि महाकुंभ के पीक स्नान पर्व के दौरान अक्षय वट के दर्शन आम श्रद्धालु नहीं कर पाएंगे. सुरक्षा कारणों से ऐसा फैसला लिया गया है, लेकिन महाकुंभ के दौरान आम दिनों में अक्षय वट के दर्शन का लाभ श्रद्धालु ले सकतें हैं.
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