Lalitpur ka Itihaas: महारानी ललिता के नाम पर कैसे 500 साल बसा ललितपुर? ताजमहल जैसी प्रेम कहानी, जानें ललितपुर का इतिहास
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Lalitpur ka Itihaas: महारानी ललिता के नाम पर कैसे 500 साल बसा ललितपुर? ताजमहल जैसी प्रेम कहानी, जानें ललितपुर का इतिहास

Lalitpur ka Itihaas: यूपी के ऐतिहासिक शहरों में से एक ललितपुर शहर भी है. यह शहर तीन आम नामों से जाना जाता है. जिसमें पाटन, ललितपुर और यला का नाम शामिल है. जानिए इसका पूरा इतिहास

Lalitpur ka Itihaas

Lalitpur ka Itihaas: ललितपुर...एक ऐसा शहर जो यूपी के ऐतिहासिक शहरों में से एक है. यह शहर तीन आम नामों से जाना जाता है, जिसमें पाटन, ललितपुर और यला का नाम शामिल है. ये तीन नाम हमें शहर के इतिहास और पौराणिक कथाओं दोनों में बहुत दूर ले जाती है. कहा जाता है कि राजा सुमेर सिंह ने ललितपुर शहर की स्थापना की और अपनी पत्नी नाम ललिता के नाम पर इसका नाम रखा. यह क्षेत्र गोंड के कब्जे में था. बुंदेला और उनके बेटे रुद्र प्रताप ने सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में गोंड से लिया था. ललितपुर को 1974 में जिले का दर्जा प्राप्त हुआ. कहते हैं कि महाराज सुमेर सिंह को तालाब में स्नान करने पर चर्मरोग से मुक्ति मिली और फिर उन्हीं के नाम पर तालाब का नाम सुमेरा तालाब पड़ा. ललितपुर में बनने वाली 'जरी सिल्क साड़ी' काफी फेमस है, जो लगभग 1400 ई0 से 1500 ई0 से यह काम होता आ रहा है.

ललितपुर प्राचीन आस्था का केंद्र माना जाता है. यहां साइफन प्रणाली से सुसज्जित गोविंद सागर बांध, राजघाट बांध, माताटीला बांध, गौतम बुद्ध से लेकर सम्राट अशोक तक के पहचान चिन्ह मौजूद हैं. इसके अलावा कई प्राचीन किले और मंदिर मौजूद हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

ललितपुर की बदली तस्वीर
इस जिले की स्थापना सत्रहवीं शताब्दी में बुंदेल राजपूत ने की थी. गुलामी की जंजीरों से जकड़ा भारत भले ही 1947 में आजाद हुआ हो, लेकिन जनपद बनने के बाद ही शहर ने पिछड़ेपन की बेड़ियों को तोड़ना शुरू किया था. 1947 में विकास की इस पटकथा की शुरूआत हुई और कई जरूरतों को पूरे करने की इबारत अभी भी लिखी जा रही है. गुलाम देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने में लोगों ने बहुत संघर्ष किया. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राजा मर्दन सिंह ने संघर्ष किया. आजादी के बाद ललितपुर जिला नहीं बल्कि झांसी जनपद की तहसील के रूप में पहचाना जाता था. 

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क्या है शहर का इतिहास?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1891 से 1974 ई. तक ललितपुर जिला झांसी जिले का ही एक हिस्सा था. 1891 में ललितपुर और झांसी जिलों को मिलाकर इसे झांसी जिले का उप-मंडल बना दिया गया था. उसी साल इसे इलाहाबाद मंडल में शामिल कर लिया गया. प्रशासनिक सुविधा और समुचित विकास के लिए 1 मार्च 1974 को ललितपुर को दोबारा एक अलग जिला बना दिया गया.

शहर में घूमने की जगह
ललितपुर में घूमने के लिहाज से यहां कई ऐतिहासिक और धार्मिक टूरिस्ट प्लेस हैं. अगर आप भी इस शहर में घूमने आ रहे हैं तो इन स्थानों पर जाना न भूलें. यहां प्रसिद्ध मंदिरों में से एक नरसिंह भगवान मंदिर है. ये मंदिर सुमेरा तालाब के किनारे स्थित है. जिले के दुधई स्थान पर नरसिंह (भगवान विष्णु के अवतार) की एक विशाल चट्टानों को काटकर बनायीं गई मूर्ति मौजूद है. यह बहुत ही दर्शनार्थी स्थल है, जो पूरे देश भर में अद्भूत विशाल मूर्ति के लिए मशहूर है. इसके साथ-साथ यहां कई हिन्दू और जैन मंदिर भी है. यहां के फेमस पर्यटन स्थलों में देवगढ़, नीलकंठेश्‍ववर त्रिमूर्ति, रंछोरजी, माताटीला बांध और महावीर स्वामी अभ्यारण है.

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