कौन है सेक्‍स रैकेट चलाने वाले इच्‍छाधारी बाबा?, जिसके पास नारायण साकार हर‍ि जैसा करोड़ों का आश्रम
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2321543

कौन है सेक्‍स रैकेट चलाने वाले इच्‍छाधारी बाबा?, जिसके पास नारायण साकार हर‍ि जैसा करोड़ों का आश्रम

Who is Ichadhari Baba : इच्‍छाधारी बाबा पहली बार तब चर्चा में आया जब 2009 में बाबा भीमानंद सेक्स रैकेट चलाने के जुर्म में पुलिस के राडार में आया. बाबा की गिरफ्तारी की गई और करोड़ों की संपत्ति बरामद की गई, अब बाबा जेल से बाहर आ चुका है. 

Ichadhari Baba

Ichadhari Baba : जिस इलाके को लोग कभी डकैत ददुआ की राजधानी के नाम से जानते थे, उस इलाके को अब लोग इच्छाधारी बाबा भीमानंद के साईं पावन परमधाम आश्रम के नाम से जानेंगे. जी हां हम वही भीमानंद इच्छाधारी बाबा की बात कर रहे हैं, जो सेक्स स्कैंडल में जेल गया था. बाबा चर्चा में तब आया जब 2009 में बाबा भीमानंद सेक्स रैकेट चलाने के जुर्म में पुलिस के राडार में आया तब बाबा की गिरफ्तारी की गई और करोड़ों की संपत्ति बरामद की गई, लेकिन बाबा अब जेल से बाहर आ चुका है और अपने पैतृक गांव ऊंचाडीह ग्राम पंचायत के चमरौन्हा गांव में भव्य मंदिर और आश्रम का निर्माण करवा रहा है. 

कौन है इच्छाधारी बाबा?
इच्छाधारी बाबा उर्फ भीमानन्द का असली नाम शिवमूरत द्विवेदी है. इनके पिता का नाम बच्चा द्विवेदी है. शिवमूरत द्विवेदी चार भाइयों में तीसरे नंबर का है. शिवमूरत द्विवेदी 10वीं तक पढ़ाई की है. उसके बाद गांव से दिल्ली कमाने चला गया था, हालांकि इनके पिता के पास काफी जमीन थी. बताया जा रहा है कि शिवमूरत दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में गार्ड की नौकरी करते करते कब बाबा बन गया किसी को भनक नहीं लगी. जब 2009 में दिल्ली पुलिस ने शिवमूरत द्विवेदी को सेक्स स्कैंडल चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया तब यह इच्छाधारी बाबा उर्फ भीमानन्द महाराज के नाम से चर्चित हो चुका था. बाबा का नाम हाईप्रोफाइल सेक्स रैकेट के संचालन करने के मामले का खुलासा हुआ, तब बाबा के पास करोड़ों की संपत्ति होने का खुलासा हुआ था. 

करोड़ों की लागत से बना रहा आश्रम 
इच्छाधारी बाबा उर्फ भीमानन्द ने अपने पैतृक गांव चमरौन्हा में भव्य आश्रम बनाया है. इसका निर्माण कार्य प्रगति पर है. बाबा यहां करोड़ों की लागत से आश्रम बना रहा है जिसको देखकर लगता है यह आश्रम कम रिसोर्ट ज्यादा है. नदी के किनारे सुंदर वातानुकूलित कॉटेज बनाई गई है. आश्रम में तीन मंजिल भव्य मंदिर की इमारत खड़ी की गई है. मंदिर के निचले तल में बजरंगबली की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई है. दूसरे तल में रामदरबार व तीसरे तल में शिव परिवार की प्रतिस्थापना की जानी है. 

बाबा को साईबाबा के नाम से बुलाते हैं लोग
इच्छाधारी बाबा लोगों की नजरों में भले ही सेक्स रैकेट वाला बाबा हो यहां उनको लोग साईबाबा के नाम से ही बुलाते है. हालांकि लोग उनके बारे में बात करने से डरते हैं और उनकी बुराई भलाई कुछ भी नही करते हैं. हो सकता है यह बाबा का रसूख हो, बाबा ने धन कमाया है, लेकिन कैसे कमाया ये नहीं पता. बाबा ने अपने गांव में जिस तरह से मंदिर निर्माण करवाया है और आश्रम को भव्यता दी है उसको लेकर लोगों का मानना है कि बाबा धर्म कर्म का काम कर रहा है. 

आश्रम कम रिसोर्ट ज्यादा 
इच्छाधारी बाबा का आश्रम बर्दहा नदी के किनारे बेहद रमणीय लगता है. बाबा ने मंदिर के अलावा कैम्पस में काली माता, शारदा माता और भैरो बाबा व दुर्गा माता की मूर्तियों की भी स्थापना कर रखी है. बाबा ने सुंदर गार्डन के अलावा फलदार पौधे भी लगा रखे हैं. बाबा के मंदिर के पीछे वातानुकूलित कॉटेज बनाया गया जहां लग्‍जरी लाइफ से जुड़ी हर वस्तु उपलब्ध है. यह आश्रम चित्रकूट के रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पड़ता है जहां भविष्य में लोग टाइगर रिजर्व भ्रमण के दौरान आश्रम का भ्रमण और यहां ठहरने का भी आनंद लेंगे. 

बाबा का परिवार आश्रम में रहकर करता है देखभाल
इच्छाधारी बाबा ने यहां अभी कोई चेला चपाटी नहीं रखे हैं बल्कि बाबा के परिवार के लोग ही आश्रम की देखभाल करते है. आशाराम में बाबा के पिता बच्चा द्विवेदी और एक छोटा भाई व उसका परिवार रहता है. वही लोग बाबा के आश्रम और गौशाला की देखभाल करते है. 

मानिकपुर से 20 से 25 किलोमीटर दूर 
इच्छाधारी बाबा का आश्रम चित्रकूट जिला मुख्यालय से जहां 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर है.  वहीं मानिकपुर तहसील मुख्यालय से मात्र 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बाबा का आश्रम उनके पैतृक गांव चमरौन्हा में है जो मानिकपुर ब्लॉक के ऊंचाडीह पंचायत के अंतर्गत आता है. ये पूरा इलाका रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आता है. 

बाबा के आश्रम में दो मोर भी
इच्छाधारी बाबा के आश्रम में राष्ट्रीय पक्षी दो मोर भी रहते हैं, जो यहां के लोगों के साथ काफी घुले मिले हैं. मोर पूरे आश्रम प्रांगण में विचरण करते हैं. आश्रम में किफायती फलदार पेड़ लगाए गए हैं. इसमें आम, अमरूद, कटहल और अन्य पेड़ भी शामिल हैं. साथ ही देशी गायों की गौशाला भी बनाई गई है. 

पहले से ही संपन्‍न थे परिवार के लोग 
ऊंचाडीह ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान मार्तण्ड प्रताप सिंह बताते हैं कि बाबा का परिवार पहले से ही संपन्‍न था. बाबा के पिता के पास काफी खेती वाली जमीन थी. बाबा लोग चार भाई है. बाबा बताते हैं कि दिल्ली में रहता है लेकिन अब वह अपने गांव का काफी विकास कर रहा है और धर्म कर्म के कार्यो में लगा रहता है. 

माता काली को मानता है अपना ईष्‍ट 
बाबा के छोटे भाई ने बताया कि बाबा का वैसे तो भगवान से विशेष नाता है लेकिन बाबा माता काली का पुजारी है और उसी को अपना ईष्ट मानता है. बाबा में आश्रम में जितनी भी मूर्तियों की स्थापना की है उन सब स्थानों में भव्य मंदिर बना रहे है. 

यह भी पढ़ें :  हैंडपंप, सुदर्शन चक्र से लेकर रंगीन चश्मे तक, हाथरस वाले बाबा के 10 बड़े पाखंडों का पर्दाफाश
 

 

Trending news