यूपी के इस शहर में नाग देवता का रहस्‍यमयी मंदिर, आज तक कोई नहीं डलवा पाया छत
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यूपी के इस शहर में नाग देवता का रहस्‍यमयी मंदिर, आज तक कोई नहीं डलवा पाया छत

UP Unique Temple: नाग देवता का यह अनोखा मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जिस किसी ने इस मंदिर पर छत डालने की कोशिश की उसकी मौत हुई या उसे बड़े परेशानियों का सामना करना पड़ा है. 

 

AURAIYA DHORA NAG TEMPLE

गौरव श्रीवास्‍तव/औरैया: देश को सोने की चिड़िया के साथ ही चमत्कारों का देश भी कहा जाता है. रामायण और महाभारत काल से लेकर इस आधुनिक काल में यहां तरह-तरह की रहस्यमयी घटनाएं आज भी घटित होती रहती हैं. यही कारण है कि यहां मौजूद मंदिर, शिवालय लोगों में आस्था के साथ-साथ चर्चा का विषय बने रहते हैं. औरैया जिले के दिबियापुर के पास स्थित सेहुद गांव के टीले पर बने धौरा नाग मंदिर भी लोकप्रिय मंदिर है. नाग देवता का यह अनोखा मंदिर औरैया समेत आसपास के जनपदों में काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जिस किसी ने इस मंदिर पर छत डालने की कोशिश की उसकी मौत हुई या उसे बड़े परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

मंदिर की ये है मान्यता
धौरा नाग मंदिर मंदिर में आज तक छत नहीं डाली जा सकी है. मंदिर में मौजूद देवी देवताओं की खंडित मूर्तियों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि साक्षात नाग देवता मंदिर परिसर में बात करते हैं और वह यदा-कदा लोगों को दर्शन भी देते रहते हैं. मंदिर में छत ना होना जितनी हैरान करने वाली बात है इसकी सच्चाई भी उतनी ही भयानक है. कहते हैं मंदिर में जिसने भी छत डलवाने की कोशिश वो इसमें असफल रहे. छत डलवाने वाले की मौत या उसका बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है. लोगों का मानना है कि गांव के ही एक इंजीनियर ने नाग मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की, जिसके बाद उनके घर में दो लोगों की आकस्मिक मौत हो गई. छत तो दूर इस मंदिर से कोई सामान तक अपने साथ नहीं ले जा सकता है.

मोहम्‍मद गजनबी ने खंडित करवाई थी मूर्तियां
जानकारी के मुताबिक, मंदिर की प्राचीनता के साथ यहां घटने वाली घटनाएं भी दिल दहलाने वाली हैं. ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तियां पड़ी हैं जो 11वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय मंदिरों के तोड़फोड़ के सच को बयां करती हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना पुराना है.

नागपंचमी के दिन गांव में लगता है मेला
धौरा नाग मंदिर की सिर्फ यही बखूबी इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है. यहां नाग पंचमी के दिन आसपास के जनपदों से आने वाले श्रद्धालु विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इसके साथ ही यहां पर दो दिन तक लगातार मेला चलता है. मेले में दंगल का भी आयोजन होता है.

क्या कहते हैं ग्रामीण
इसी गांव के रहने वाले तिलक सिंह बताते हैं कि कन्नौज के राजा जयचंद्र की रानी सुरंग के द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना करने आती थीं. साथ ही गांव में स्थित मिट्टी के टीलों पर भगवान शिव की प्रतिमाएं निकलती रहती है. कोई बाहरी व्यक्ति मंदिर या उसके आसपास से कोई पत्थर भी लेकर नहीं जा पाता. अगर कोई ले भी जाता है तो उसे सांप ही सांप दिखाई देते हैं और उसे वो पत्थर वापस रखने पड़ता है. गांव में राजा जनमेजय को काटने वाले तक्षक प्रजाति के नाग निकलते रहते हैं. विशेषकर नागपंचमी पर ये नाग मंदिर में आते-जाते रहते है. 

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