हरिद्वार महाकुंभ में हर स्नान को महत्वपूर्ण माना जाता है. इन्ही में एक है देव डोलियों का स्नान. पहाड़ के अलग अलग-जिलों से आने वाली देव डोलियां आज हरि की पौड़ी पहुंची, जहां पूरे विधि-विधान के साथ पहले पूजा-पाठ किया गया और फिर डोलियों का स्नान हुआ.
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देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में देवी-देवताओं का अलग महत्व है. पहाड़ के हर गांव में अलग-अलग देवी-देवता का पूजन किया जाता है. कुंभ के पावन पर्व पर राज्य के दूरस्थ इलाकों से आए देव डोलियों का स्नान सदियों से होता आ रहा है. आज के दिन खास तौर पर श्रद्धालु अपने देवता की डोली लेकर हरिद्वार पहुंचते हैं, जहां डोलियों को पतित पावनी मां गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई जाती है.
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शुरू हुआ स्नान
उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों से देव डोलियां शनिवार को ही हरिद्वार पहुंच गई थीं. यहां पुलिस एवं मेला प्रशासन द्वारा सभी का पूरे सम्मान के साथ स्वागत किया गया. दूरस्थ क्षेत्र से आए लोगों के ठहरने की व्यवस्था भी की गई. आज सुबह से देव डोलियां हरि की पौड़ी पहुंचने लगी. पारंपरिक पूजा पाठ के बाद स्नान का क्रम शुरू हो चुका है. मां गंगा के जयकारों के बीच डोलियों के स्नान का क्रम जारी है.
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इन डोलियों ने किया स्नान
कुंभ में स्नान के लिए कई डोलियां आती हैं. इनमें से हर डोली की अपनी मान्यता है. धारी देवी, सुरकंडा देवी, भद्रकाली एवं घड़ियाल देवता की डोली का स्नान हो चुका है. जिस तरह से शाही स्नान पर अखाड़ों के स्नान का दृश्य मनोरम नजर आता है, कुछ वैसे ही देव डोलियों के स्नान का नजारा भी दिव्यता का अनुभव कराता है. खासतौर पर हरिद्वार में रहने वाले उत्तराखंड के निवासी देव डोलियों के स्नान को देखने के लिए बड़ी संख्या में हरि की पैड़ी पहुंचते हैं.
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