Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बनने जा रहे आयुष विश्वविद्यालय से यह सिद्ध हो रहा है कि वैश्विक महामारी कोविड के बाद देश और दुनिया में आयुर्वेद का क्रेज बढ़ रहा है. पढ़िए पूरी खबर ...
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Lucknow News: वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के दावे से इतर ये सच है कि वैश्विक महामारी कोविड19 के बाद देश और दुनिया भर में आयुर्वेद का क्रेज बढ़ा है. सरकार से मिले आंकड़ों के अनुसार देश में आयुष का बाजार 2014 से 2023 के दौरान 2.85 डॉलर से बढ़कर 43.4 डॉलर तक पहुंच गया है. साथ इस क्षेत्र से होने वाला निर्यात बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है. इन आंकड़ों से साबित होता है कि पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की पहचान देश ही नहीं दुनिया में भी और मुकम्मल हो रही है.
योग आयुर्वेद और गोरक्षपीठ की परंपरा
चूंकि योग और आयुर्वेद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर स्थित जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं. योग और आयुर्वेद वहां की परंपरा रही है. योग के मौजूदा स्वरूप को तो गुरु गोरक्षनाथ की ही देन माना जाता है. मंदिर परिसर में ही ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के नाम से बना आयुर्वेद केंद्र पीठ की पहली चिकित्सा इकाई रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि अपने वैविध्य पूर्ण कृषि जलवायु, प्रचुर जलसंपदा और मानव संसाधन के नाते उत्तर प्रदेश आयुष के बाजार का बड़ा खिलाड़ी बने. इसके साथ ही इस इकाई को हेल्थ टूरिज्म के लिए भी विकसित किया जा रहै है.
राज्य का पहला आयुष विश्वविद्यालय
इसी के मद्देनजर गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम से यूपी सरकार राज्य का पहला आयुष विश्वविद्यालय बना रही है. इनके साथ ही अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इसी संकल्पना की एक कड़ी है. आपको बता दें कि गोरखपुर में भटहट के पिपरी में 52 एकड़ में बन रहे इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास अगस्त 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था. अब यह बनकर लगभग तैयार है. इसके अंदर ओपीडी की सेवाएं शुरू हो चुकीं हैं.
दर्जन भर कोर्सेज का होगा संचालन
आयुष विश्व विद्यालय में आयुष से जुड़ी सभी चिकित्सा पद्धतियों पर पारंपरिक पाठ्यक्रमों के साथ आज के दौर की आवश्यकताओं के अनुरूप यूनिक कोर्स भी चलाए जाएंगे. इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आयुष विभाग के अफसर देश के अन्य राज्यों में चलाए जा रहे आयुष पाठ्यक्रमों के तुलनात्मक अध्ययन में जुटे हैं. अब तक पीएचडी समेत दर्जनभर पाठ्यक्रमों को चलाने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है.
विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रमों को लेकर आयुष विश्वविद्यालय की अब तक की कार्ययोजना के अनुसार उसमें पीएचडी, बीएससी नर्सिंग आयुर्वेद, बी फार्मा आयुर्वेद, बी फार्मा होम्योपैथ, बी फार्मा यूनानी, पंचकर्म असिस्टेंट डिप्लोमा, पंचकर्म थेरेपिस्ट डिप्लोमा, विदेशी छात्रों के लिए डिप्लोमा, क्षारसूत्र डिप्लोमा, अग्निकर्म डिप्लोमा, उत्तरवस्ति डिप्लोमा और योग नेचुरोपैथी डिप्लोमा और कुछ सर्टिफिकेट कोर्स शामिल हैं.
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