Siddhartnagar News: पूर्वांचल के 'काला नमक' की खुशबू विदेश तक फैली, बंपर पैदावार से किसानों की बल्ले-बल्ले
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Siddhartnagar News: पूर्वांचल के 'काला नमक' की खुशबू विदेश तक फैली, बंपर पैदावार से किसानों की बल्ले-बल्ले

Siddhartnagar News: सिद्धार्थनगर का ऐतिहासिक और सुगंधित काला नमक चावल अब देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने को तैयार है. यह चावल अपने ौस्वाद, पोषकता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. काला नमक चावल की को भगवान बुद्ध का प्रसाद भी माना जाता है.

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Siddhartnagar News: सिद्धार्थनगर जिले का ऐतिहासिक और सुगंधित काला नमक चावल, जो अपने स्वाद, पोषकता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, अब देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने को तैयार है. जिला प्रशासन ने किसानों को बेहतर बाजार और उचित मूल्य दिलाने के लिए 22 और 23 दिसंबर को दो दिवसीय बायर-सेलर मीट का आयोजन किया है. इसमें गुजरात, दिल्ली, मुंबई और तमिलनाडु जैसे राज्यों से बड़े चावल व्यापारी हिस्सा लेंगे.

बौद्ध कालीन धरोहर: काला नमक चावल
भगवान गौतम बुद्ध के महल के अवशेषों और स्तूपों के आसपास 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में उगने वाला काला नमक चावल 2018 में एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना के तहत चुना गया. इस योजना से किसानों को आर्थिक मजबूती की उम्मीद जगी और इसके तहत खेती का दायरा 2,000 हेक्टेयर से बढ़कर 17,000 हेक्टेयर हो गया. 

किसानों ने शिकायतें
बेहतर बाजार के अभाव और उचित दाम न मिलने के कारण किसानों का इस फसल से मोहभंग होने लगा. किसानों ने शिकायत की कि इस सुगंधित चावल की खेती में समय और मेहनत अधिक लगती है, जबकि पैदावार कम होती है. बाजार की कमी के कारण उन्हें लोकल खरीदारों पर निर्भर रहना पड़ता है. 

जिलाधिकारी की पहल
सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी राजा गणपति आर ने किसानों की समस्याओं को समझते हुए बायर-सेलर मीट का आयोजन किया है. उनका कहना है कि यह पहल किसानों को बड़े बाजार तक पहुंचाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मील का पत्थर साबित होगी.

काला नमक चावल की खासियत
काला नमक चावल की खेती में केवल जैविक खाद का उपयोग होता है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बनाता है. इसे भगवान बुद्ध का प्रसाद भी माना जाता है. जिलाधिकारी ने बताया कि यूपी सरकार और प्रशासन इस चावल को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.  

उम्मीदें और संभावनाएं
किसानों का कहना है कि अगर बेहतर बाजार और उचित दाम मिले, तो यह चावल न केवल सिद्धार्थनगर की पहचान बनेगा, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा. बायर-सेलर मीट से क्षेत्रीय किसानों और व्यापारियों को बड़ा लाभ मिलने की संभावना है.

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