Ghaziabad News: टैटू के फैशन ने मौत के मुंह में धकेला, गाजियाबाद में 60 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं निकलीं HIV पॉजिटिव
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गाजियाबाद: गाजियाबाद जिला अस्पताल से बेहद हैरान करने वाली खबर सामने आई है जहां पर प्रसव के लिए पहुंची महिलाओं ने काउंसलिंग में बताया कि वे टैटू बनवाने से एचआईवी पॉजिटिव हो गईं. गाजियाबाद जिला अस्पताल में आई इन महिलाओं में से पूर्व जांच और काउंसलिंग के दौरान 68 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव पाई गईं. पिछले कुछ सालों के दौरान 68 महिलाओं के एचआईवी पॉजिटिव होने का यह मामला सामने आया है जिसके बाद सनसनी फैल गई.
20 महिलाओं ने काउंसलिंग में दी जानकारी
जानकारी है कि 20 महिलाओं ने काउंसलिंग के दौरान जानकारी दी कि टैटू बनवाने की वजह वो एचआईवी से संक्रमित हो गई. इन महिलाओं ने जानकारी दी कि टैटू बनवाने के बाद से ही उनकी तबियत खराब रहने लगी. वैसे जिला महिला अस्पताल में इन सभी महिलाओं का प्रसव सुरक्षित तरीके से करा दिया गया लेकिन एचआईवी से संक्रमित होने का ये केस चौंकाता जरूर है. आपको बता दें कि टैटू बनवाने के दौरान संक्रमित सुई से एचआईवी संक्रमण के एक वाहक से दूसरे वाहक में पहुंचने की संभावना होती है. टैटू टैटू बनवाने के दौरान ही संक्रमित सुई के उपयोग से हेपेटाइटिस और एचआईवी का संक्रमण भी फैल सकता है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
कुछ आंकड़ों पर गौर करते हैं
स्वास्थ्य विभाग से मिले डेटा चौंकाते हैं जिसके मुताबिक चार वर्षों में गर्भवती महिलाओं की जांच में 485 हेपेटाइटिस से संक्रमित पाई गई. यह संक्रमण भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए ही होता है. 2023 में सबसे ज्यादा 185 गर्भवती हेपेटाइटिस से संक्रमित पाई गईं. 2021 में 99 और 2022 में 152 गर्भवती महिलओं को संक्रमित पाया गया था. 2024 में अब तक 49 गर्भवती महिलाएं हेपेटाइटिस संक्रमित मिल चुकी हैं. एचआईवी काउंसलर उमा सिंह के मुताबिक टैटू बनाने में निडिल का इस्तेमाल होता है और टैटू बनाने वाला एक ही निडिल से कई शरीर पर टैटू बनाता है. ऐसी स्थित में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आशंका से मना नहीं कर सकते हैं. एचआईवी क्या, हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां ब्ल्ड ट्रांसफ्यूजन से होती हैं जिसकेसंक्रमण का खतरा बहुत बढ़ जाती है.
सड़क किनारे टैटू बनवाना पड़ता है जान पर भारी
एचआईवी काउंसलर उमा सिंह की माने तो डेटा कहता है कि औसतन 17 गर्भवती एचआईवी संक्रमित हर साल पाई जा रही हैं. ध्यान देने वाली बात है कि सिर्फ जिला महिला अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं का ही यह डेटा है. दरअसल, हर गर्भवती की प्रसव से पहले टीबी, एचआईवी और शुगर आदि की जांच जिला महिला अस्पताल में की जाती है. महिलाओं के एचआईवी संक्रमित होने संबंधी डेटा और भी परेशान करने वाला है. यदि कोई महिला एचआईवी संक्रमित है तो उसकी काउंसलिंग होती है जिसमें संक्रमित को क्या सावधानियां बरतनी है इस बारे में बताया जाता है और पता करने की कोशिश की जाती है कि वो संक्रमित कैसे हुईं. चार साल में सामने आईं 68 एचआईवी संक्रमितों में 20 गर्भवती अपने संक्रमण को टैटू से जोड़ती हैं जिन्होंने सड़क किनारे टैटू बनवाया और उसके बाद से ही शरीर में बदलाव को महसूस करने लगीं.