Uttarakhand Tunnel Collapse Rescue: आज टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का 11वां दिन है. एक तरफ रेस्क्यू टीमें इतने दिन से टनल में फंसे मजदूरों के लिए सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रास्ता बनाने में जुटी हैं.
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राम अनुज/उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर से 41 मजदूरों को फंसे 11 दिन हो चुके हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन की सबसे बड़ी उम्मीद ऑगर मशीन से है. ऑपरेशन 11वें दिन भी लगातार जारी है. अगर इसके सामने रुकावट नहीं आई तो रेस्क्यू ऑपरेशन 2 दिन में पूरा हो सकता है. अब बड़कोट की तरफ से भी ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है.
पाइप को मलबे में डालने का ऑपरेशन
उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन के 11वां दिन टनल में ड्रिल के जरिए पाइप को मलबे में डालने का ऑपरेशन चल रहा है. श्रमिकों को पाइप के जरिए खाना-पानी दिया जा रहा है. ऑक्सीजन टनल के ऊपर ड्रिल करने के लिए प्लेटफार्म तैयार हो चुका है. मशीन भेजी जा रही है. एक तरफ रेस्क्यू टीमें इतने दिन से टनल में फंसे मजदूरों के लिए सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रास्ता बनाने में जुटी हैं, तो दूसरी तरफ मजदूरों के लिए पौष्टिक और सुपाच्य भोजन बनाना भी बड़ी है. सोमवार को सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए खिचड़ी बनाई गई थी. मंगलवार रात उनके भोजन का मेन्यू बदल दिया गया.
भूस्खलन के बाद निर्माणाधीन सुरंग के 2 किलोमीटर लंबे हिस्से में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए कुल पांच एजेंसियों- ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, आरवीएनएल, एनएचआईडीसीएल और टीएचडीसीएल- को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
लग सकता है 12-15 दिन का समय-अनुराग जैन
सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा कि अमेरिकी निर्मित ऑगर ड्रिलिंग मशीन, जो पहले से ही काम में है, अभी सबसे अच्छा विकल्प है और श्रमिक 2.5 दिनों के भीतर बाहर हो सकते हैं. शुक्रवार दोपहर को बरमा मशीन एक कठोर चट्टान के पार आ गई, जिससे कंपन शुरू हो गया था जिससे सुरक्षा चिंताओं के कारण बचावकर्मियों को अभियान रोकना पड़ा. उन्होंने कहा कि उन्होंने पांच अन्य कार्य योजनाएं तैयार रखी हैं, लेकिन उनमें 12-15 दिन तक का समय लग सकता है. "हम एक विकल्प पर क्लिक करने की प्रतीक्षा करने के बजाय सभी विकल्पों पर एक साथ काम कर रहे हैं. सुरंग के समानांतर एक उद्घाटन बनाने के लिए बरमा और क्षैतिज बोरिंग. एक क्षैतिज उद्घाटन बनाने में 12-15 दिन लग सकते हैं.
CM धामी ने सोशल मीडिया पर किया ट्वीट
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने आज फोन पर बात कर सिलक्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फंसे श्रमिकों के लिए भोजन, दवाइयां, अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति एवं उन्हें सकुशल बाहर निकालने हेतु चल रहे बचाव कार्यों की जानकारी ली।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी को केंद्रीय…
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 22, 2023
सीएम धामी करेंगे समीक्षा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज सिल्कयारा टनल हादसे की समीक्षा करेंगे. दोपहर 3.15 पर सीएम आवास में बैठक होगी. टनल में फंसे मजदूरों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने पर मंथन किया जाएगा. बैठक में राहत एंव बचाव कार्यों की समीक्षा बैठक होगी. इसमें शासन के उच्चाधिकारी मौजूद रहेंगे. ये बैठक मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय, देहरादून में होगी.
बदलेंगे सुरंग निर्माण के मानक
सिल्कयारा टनल हादसे से सबक लिया जाएगा. भारतीय मानक ब्यूरो के अंडरग्राउंड वर्क के नए नियम तैयार किए गए हैं. अभी तक BIS नियमावली में एस्केप टनल या अप्रोच एडिट जैसी व्यवस्थाएं नहीं थीं. प्रदेश की सबसे लंबी सिल्कियारा टनल में नए अप्रोच एडिट और ना ही एस्केप टनल है. साल 2018 से बन रही है 4.30 किलोमीटर लंबी सिल्कयारा टनल अटल टनल में पहले से ही एस्केप चैनल बनाई गई है. भविष्य में बनने वाली टनल में एस्केप चैनल अनिवार्य होगा.
PM मोदी और CM धामी लगातार नजर बनाये हुए
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विशेष उपकरण भी मंगवाए गए हैं. पीएम मोदी खुध भी बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाये हुए हैं.
उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के लगातार बचाव प्रयासों के बाद, सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एक व्यापक पांच-विकल्प कार्य योजना पर काम कर रहा है. मंत्रालय का कहना है कि ''सरकार ने सिल्कयारा में सुरंग में फंसे मजदूरों की कीमती जान बचाने के लिए सभी मोर्चों पर काम करने का निर्णय लिया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा 21 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उत्तरकाशी बचाव अभियान के बारे में जानकारी दी गई. कल मीडिया को संबोधित करते हुए अधिकारी ने बताया कि वहां पर बचाव कार्य बड़ी तेजी से किया जा रहा है. टनल के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं. सभी को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं. मंत्रालय की ओर से अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और भारतीय सेना की निर्माण शाखा बचाव अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले रही है.
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