Uttarakhand Earthquake Report: उत्तराखंड में इस जनपद को भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील माना गया. इस जनपद को जॉन -5 में रखा गया. वैज्ञानिकों ने शोध में किया खुलासा. जानें क्या है पूरा मामला...
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हेमकान्त नौटियाल/ उत्तरकाशी: पहाड़ी राज्य होने की वजह से उत्तराखंड को भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील माना जाता है. जनपद उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, कुमाऊं में कपकोट, धारचूला, मुनस्यारी भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील है. जनपद उत्तरकाशी को भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील माना जाता है और यह जनपद जॉन 5 में आता है. जॉन 5 का अर्थ होता है काफी खतरनाक क्षेत्र. जहां पर भूकंप आने की संभावनाएं लगातार बनी हुई रहती हैं. जनवरी 2023 से अक्टूबर 2023 तक 10 से 12 बार जनपद में भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसके कारण लोगों के अंदर यह डर बना हुआ है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके कहीं किसी बड़े भूकंप आने का संकेत तो नहीं है वहीं बात करें तो वर्ष 1991 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद से उत्तरकाशी में भूकंप के झटके आने का सिलसिला जारी है. आंकड़ों पर नजर डाले तो अब तक तीन दशक में यहां पर धरती भूकंप के करीब 70 से ज्यादा झटकों से डोल चुकी है. साल दर साल आ रहे इन झटकों से लोगों में भूकंप को लेकर दहशत बरकरार है.
पहले कब- कब आया भूकंप
उत्तरकाशी जनपद में 20 अक्तूबर 1991 की मध्य रात्रि को रिक्टर पैमाने पर 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था. भूंकप ने ऐसा तांडव मचाया था कि त्रासदी में 600 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. वहीं 5 हजार से ज्यादा घायल हुए थे. उसके बाद से ही यहां भूकंप के झटकों का आना जारी है. आपदा प्रबंधन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक यहां करीब 70 से ज्यादा भूकंप के झटके आ चुके हैं. वर्ष 2016 में भूकंप के 9 झटके महसूस किए गए थे. वहीं वर्ष 2017 में सर्वाधिक 13 झटके महसूस किए गए थे. गत वर्ष 2022 में पांच और इस साल अब तक 10 से 12 झटके आ चुके हैं. जिससे वर्ष 1991 के भूकंप की विभिषिका देख चुके लोगों में खौफ बरकरार है.
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स्थानीय लोगों के अनुसार
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जनपद में बन रहे बिना भूकंप तकनीकी के भवन पर रोक लगनी चाहिए और बन रही बहू मंजिला इमारतें बिना प्रशासन की अनुमति के नहीं बननी चाहिए. जनपद में इस प्रकार के भी रडार लगाने चाहिए ताकि भूकंप आने से पूर्व लोगों को सतर्क किया जा सके साथ ही जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन की विभाग की तरफ से भी समय-समय पर लोगों को भूकंप के प्रति जागरूकता अभियान के माध्यम से जागरूक करना चाहिए. भूगर्भ वैज्ञानिकों की मानें तो हिमालय के नीचे की प्लेट लगातार खिसक रही है. जो कि यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है. इसी कारण यहां लगातार छोटे-छोटे भूकंप के झटके आ रहे हैं. वहीं जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला का कहना है कि जनपद भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है इसी को लेकर लगातार आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से भूकंप के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है कि किस प्रकार से भूकंप से बचाव किया जा सकता है और आगे भी या अभियान जारी रहेगा.
इस साल आए भूंकप के झटके और उनकी तीव्रता
13 जनवरी-2.9
5 मार्च-2.5
5मार्च-1.8
21 मार्च-6.6
6 अप्रैल-3
29 अगस्त-2.8
11 सितंबर-2.9
25 सितंबर-3
3अक्टूबर-5.5
5अक्टूबर-3.2
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