भक्त नहीं खुद भगवान परशुराम इस मंदिर में करते हैं जलाभिषेक, जानिए क्या है उत्तरकाशी के इस मंदिर की मान्यता
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1822594

भक्त नहीं खुद भगवान परशुराम इस मंदिर में करते हैं जलाभिषेक, जानिए क्या है उत्तरकाशी के इस मंदिर की मान्यता

Vimleshwar Mahadev Mandir: आइए हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां कोई इंसान नहीं बल्कि स्वयं भगवान परशुराम भोलेनाथ को जल और पुष्प चढ़ाते हैं. मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता जानकर आप भी दंग रह जाएंगे.

भक्त नहीं खुद भगवान परशुराम इस मंदिर में करते हैं जलाभिषेक, जानिए क्या है उत्तरकाशी के इस मंदिर की मान्यता

हेमकान्त नौटियाल/उत्तरकाशी : उत्तरकाशी भगवान शिव की नगरी है. यहां पर एक शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां सुबह जब श्रद्धालु पहुंचते हैं तो उन्हें शिवलिंग पर जल चढ़ा हुआ मिलता है. मंदिर के शिवलिंग पर पुष्प रखे हुए मिलते हैं. ऐसी मान्यता है कि यह कोई इंसान नहीं बल्कि स्वयं भगवान परशुराम करते है. यह वरुणावत पर्वत पर स्थित विमलेश्वर महादेव शिव मंदिर है. धार्मिक मान्यता है कि यहां पर सबसे पहले भगवान परशुराम प्रति दिन सुबह शिव का जलाभिषेक करते हैं. हालांकि आज तक किसी को उनके दर्शन नहीं हुए हैं, लेकिन शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ कई बार एक जंगली पुष्प अर्पित होना श्रद्धालुओं के बीच आश्चर्य का विषय बना हुआ है.

जिला मुख्यालय से लगभग 12 किमी दूरी पर वरुणावत पर्वत पर स्थित विमलेश्वर महादेव मंदिर चीड़ और देवदार के वृक्षों के बीच स्थित है. मंदिर के गर्भगृह के अंदर स्थित स्वयंभू शिवलिंग है,जो सदियों पुराना माना जाता है. मन्दिर पुजारी और श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ.राधेश्याम खंडूड़ी बताते हैं कि मंदिर कब बना. इसका कोई इतिहास नहीं है. डॉ खंडूरी कहते है कि ''जब मैं स्वयं प्रतिदिन सुबह साढ़े तीन बजे मंदिर गया तो वहां जलाभिषेक के साथ जंगली पुष्प चढ़े हुए मिले.

 यह भी पढ़ें: Weather Update Today: उत्तराखंड में आज होगी भारी बारिश, जानिए कहां के लिए जारी हुआ येलो अलर्ट 

 

बताया कि ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान परशुराम सबसे पहले शिवलिंग पर जलाभिषेक व पुष्प अर्पित करते हैं. भगवान परशुराम को विष्णु का अवतार माना जाता है, जिनकी गिनती सप्त चिरंजीवियों में होती है. परशुराम के साथ हनुमान, विभीषण, व्यास महर्षी, कृपाचार्य, अश्वत्थामा व राजा बली सप्त चिरंजीवियों में शामिल हैं. धरती को 21 बार क्षत्रिय विहीन करने वाले परशुराम के बारे में कहते हैं कि उनका स्वभाव उग्र था, जिनके उत्तरकाशी में तपस्या करने के बाद उनका स्वभाव सौम्य हुआ था और उत्तरकाशी का एक अन्य नाम सौम्यकाशी पड़ा. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मात्र दर्शन करने से भक्तों की सारी मनोकामननाएं पूरी होती हैं.

Watch: जीवन में चाहे जैसी भी हो समस्या, ज्योतिष का ये एक उपाय कर देगा सब समाधान

Trending news