Bahraich News Today: स्वच्छ भारत मिशन योजना में बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है. शौचालय योजना का लाभ लेने वाले 15 हजार लाभार्थियों में 45 प्रतिशत आवेदनकर्ता फर्जी निकले हैं. खुलासे से महकमे में हड़कंप मच गया.
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राजीव शर्मा/ बहराइच: भारत सरकार की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की अलख जगाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय का निर्माण करवाया जा रहा है. ग्रामीण स्वच्छता को समर्पित इस महत्वपूर्ण योजना में अनियमितता व भ्रष्टाचार का खेल भी जमकर हो रहा है. जिसकी एक बानगी शौचालयों के लिए किए गए आवेदन में देखने को मिली. बहराइच जिले के नवागत डीपीआरओ राघवेन्द्र द्विवेदी ने चार्ज संभालते ही इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया. DPRO ने जांच कराई तो पता चला कि 45 प्रतिशत आवेदन फ्रॉड हैं. इस मामले के खुलासे से महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.
क्या है पूरा मामला?
ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत गांवों में शौचालय के लिए लगातार आवेदन लिए जा रहे हैं. शौचालय के निर्माण के लिए बजट दिया जा रहा है. इस योजना में सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है. इसका खुलासा डीपीआरओ राघवेन्द्र द्विवेदी की ओर से करवाए गए आवेदनों के सत्यापन में हुआ.
इस योजना के तहत 2022 से अब तक 1, 37, 711 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल पर लगभग 69,042 और पंचायती राज विभाग के पोर्टल पर 68,669 आवेदन मिले हैं. डीपीआरओ ने फौरी तौर पर 2022 से अब तक प्राप्त आवेदनों में 15 हजार एप्लीकेशन की जांच करवाई थी, जिसमें से 45 प्रतिशत से ज्यादा आवेदन फर्जी पाए गए हैं.
हस्ताक्षर के बाद अप्रूव होगा आवेदन
शौचालय आवेदन में 45 प्रतिशत फर्जी आवेदन मिलने के बाद डीपीआरओ की ओर से जांच के लिए कई प्रारूप तैयार करवाए गए हैं. उन्होंने वृहद स्तर पर सभी आवेदनों की जांच शुरू करवाई है. जिसके तहत पंचायत स्तर से लेकर, बीडीओ स्तर तक आवेदनों की जांच होगी और सभी के हस्ताक्षर के बाद आवेदन अप्रूव होगा.
कई सचिव व प्रधानों के गठजोड़ की चर्चाएं तेज
शौचालय आवेदन की पहली जांच में कुछ आवेदनों में भारी भरकम फर्जीवाड़े के बाद जिम्मेदारों की मिलीभगत की चर्चाएं तेज हो गई हैं. विभागीय सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा एक परिवार से कई आवेदन करवाने व एक ही व्यक्ति के दोबारा आवेदन करवाने का सामने आया है. जिसमें कुछ सचिव व प्रधानों द्वारा मिलीभगत कर आवेदन करवाने की बात भी सामने आ रही है.
कई पर दर्ज हो चुका है केस, जेल भी गए
वैसे इस योजना में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है. इससे पहले साल 2020 में मिहींपुरवा तहसील के ग्राम पंचायत गोपिया में भारी अनियमितता मिली थी, जिसमें तत्कालीन ग्राम प्रधान को जेल तक जाना पड़ा था. बलहा विकासखंड के ग्राम पंचायत राजापुर कला व गुलरिहा जगतापुर में लगभग 300 शौचालय के निर्माण में अनियमितता मिली थी. जिस पर तत्कालीन एडीओ पंचायत महेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रधानों व सचिवों पर मुकदमा दर्ज करवाया था. इसी तरह कई अन्य स्थानों पर मिली अनियमितता में भी कार्यवाही हो चुकी है.
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