Ayodhya Ram Mandir: 5 हजार साल अक्षुण्ण रहेगी रामलला की मूर्ति, हीरा-माणिक्य और पन्ना-सोने से सुशोभित मर्यादा पुरुषोत्तम
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Ayodhya Ram Mandir: 5 हजार साल अक्षुण्ण रहेगी रामलला की मूर्ति, हीरा-माणिक्य और पन्ना-सोने से सुशोभित मर्यादा पुरुषोत्तम

Ramlala First Photo: अयोध्या राम मंदिर में प्राण- प्रतिष्ठा के बाद रामलला विराजमान हो गए हैं. श्रीराम की पहली झलक सामने आई है. यहां आपको बताने जा रहे हैं कि रामलला ने प्राण- प्रतिष्ठा के दिन क्या शृंगार किया था....

 

Ramlala First Photo

Ayodhya Dham: सनातन धर्म को मानने वालों का 500 साल पुराना इंतजार खत्म हुआ है. 22 जनवरी 2024 सोमवार की दोपहर 12:29 पर पीएम मोदी के हाथों राममंदिर में रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा की गई. इसके बाद पूरे देश को दर्शन करने का सौभाग्य मिला. श्रीराम पांच साल के बालक के रूप में दर्शन दे रहे हैं. रामलला का प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर खास शृंगार किया गया था. रामलला को दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सजाया गया था. इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस और आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुसार शोध और अध्ययन के बाद किया गया है. जानें रामलला ने कौन- कौन से शृंगार किए हुए थे....

खबर विस्तार- 
अयोध्या राम मंदिर के गर्भ ग्रह में विराजित रामलला के बाएं हाथ में सोने का धनुष है. इनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हुई हैं. दाहिने हाथ में सोने का बाण धारण कराया गया है. गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है. इसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है. रामलला के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है. उनके मस्तक पर पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है. भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है. भगवान पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सामने खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गये हैं. इनमें झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू रखे गए हैं. 

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शीष पर सोने का मुकुट
रामलला के सिर पर शीष पर सोने का मुकुट विराजित किया गया है. यह पूरा मुकुट सोने से बनाया गया है. इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरे भी जड़े हुए हैं. मुकुट के ठीक बीच में भगवान सूर्य अंकित हैं. 

गले में कंठा
गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कंठा सुशोभित हो रही है. इसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और बीच में सूर्य देव बने हैं. सोने से बने इस कण्ठा में हीरे, माणिक्य और पन्नें जड़े हैं. कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं. रामलला के हृदय पर कौस्तुभमणि धारण कराया गया है. इसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है.

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पंचलड़ा वाला हार
गले से नीचे नाभिकमल से ऊपर रामलला ने हार पहना है. इसका देवताओं के अलंकरण में विशेष महत्त्व है. यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है. इसके अलावा तीसरा और सबसे लम्बा सोने से निर्मित एक अन्य हार भी पहन रखा है. इसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है. इसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं. 

रत्नजड़ित करधनी 
रामलला के कमर में करधनी धारण कराई गई है. इसे रत्नजड़ित बनाया गया है. स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घण्टियों भी इसमें लगायी गयी है. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं. दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित मुजबन्ध पहनाये गये हैं. दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गये हैं. बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजडित मुद्रिकाएं सुशोभित हैं. इनमें से मोतियां लटक रही हैं. पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनी हैं. इसके साथ ही सोने की पैजनियां पहनाई गई हैं. 

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