मीरापुर उपचुनाव: सपा प्रत्याशी सुंबुल राणा के ससुर कादिर की कार क्यों हुई जब्त? वजह जान आपका दिमाग हिल जाएगा
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मीरापुर उपचुनाव: सपा प्रत्याशी सुंबुल राणा के ससुर कादिर की कार क्यों हुई जब्त? वजह जान आपका दिमाग हिल जाएगा

Meerapur Assembly constituency: उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई हैं. इस बीच मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार सुम्बुल राणा के ससुर और पूर्व सांसद कादिर राणा की कार को मंगलवार को जब्त कर लिया गया. जानें क्या है वजह.

मीरापुर उपचुनाव: सपा प्रत्याशी सुंबुल राणा के ससुर कादिर की कार क्यों हुई जब्त? वजह जान आपका दिमाग हिल जाएगा

SP leader Kadir Rana: उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव 13 नवंबर को होगा. चुनाव के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में डटे हैं. इसी बीच मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार सुम्बुल राणा के ससुर और पूर्व सांसद कादिर राणा की कार को मंगलवार को जब्त कर लिया गया. आरोप है कि उनकी कार पर निर्धारित मानक से बड़ा झंडा लगाया था जिसके बाद पुलिस प्रशासन की ओर से ये कार्रवाई की गई है. 

जानें कार जब्त करने की वजह
पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) रविशंकर ने यहां पत्रकारों को बताया कि पुलिस ने समाजवादी पार्टी के नेता की कार को जब्त कर लिया है, क्योंकि कार पर पार्टी का झंडा मानक के विपरीत बड़ा पाया गया था. उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है, हालांकि पुलिस ने अभी तक आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है. इस बीच, मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहीं समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सुम्बुल राणा ने निर्वाचन आयोग से शिकायत कर आरोप लगाया है कि पुलिस भाजपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी के समर्थन में मतदाताओं पर दबाव बना रही है.

बहस कर बैठे उम्‍मीदवार
कादिर राणा की गाड़ी उस वक्त जब्त की गई जो वो सपा प्रत्याशी सुंबुल राणा के समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए गए हुए थे. इस दौरान पुलिस और कादिर राणा के बीच बहस भी देखने को मिली. कादिर राणा ने तो यहां तक कह दिया कि जिसे बुलाना है बुला लो, अगर फांसी देनी हो तो वो भी दे दो. 

जानें क्या है मीरापुर सीट का इतिहास
मौजूदा मीरापुर सीट परिसीमन के बाद 2012 में वजूद में आई थी. इससे पहले 1962 तक उक्त सीट को मोरना विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. 1962 से पहले यह भोकरहेड्डी विधानसभा क्षेत्र कहलाता था. पिछले 57 साल की सियासत का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो, स्थानीय निवासियों की सियासी सोच जिले के अन्य लोगों से अलग ही पाई जाएगी. उत्तर प्रदेश के पहले डिप्टी सीएम बाबू नारायण सिंह मोरना विधानसभा क्षेत्र से जीतकर ही विधानसभा पहुंचे थे. 

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