सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश गलत और विरोधाभासी टिप्पणियों से भरा है. इसके साथ ही कोर्ट ने तीस्ता को हिदायत दी है कि वो गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगी.
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गुजरात दंगों में झूठे सबूत पेश कर अदालत को गुमराह करने की आरोपी तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई है. कोर्ट ने तीस्ता की ज़मानत याचिका खारिज करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. एक जुलाई को दिए आदेश में गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को तत्काल सरेंडर करने को कहा था. आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश गलत और विरोधाभासी टिप्पणियों से भरा है. इसके साथ ही कोर्ट ने तीस्ता को हिदायत दी है कि वो गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगी.
'सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका नहीं'
जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दायर हो चुकी है. सबूत दस्तावेजों के रूप में है, जो पहले से ही पुलिस की कस्टडी में है, लिहाजा सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका नहीं है. कोर्ट ने कहा कि पिछले साल सितंबर में तीस्ता को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दी गई थी. तब से लेकर अब तक पुलिस ने उनसे एक बार भी पूछताछ नहीं की है. इस मामले में तीस्ता को कस्टड़ी में लेकर पूछताछ करने की ज़रूरत नहीं है.
गुजरात HC के फैसले पर सवाल उठाया
सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता की ज़मानत रद्द करने के गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमे की गई टिप्पणियां ग़लत और परस्पर विरोधाभासी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक ओर गुजरात हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कई जगह इसका जिक्र किया है कि ज़मानत याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट को केस की मेरिट पर जाकर ये तय करने की ज़रूरत नहीं है कि तीस्ता के खिलाफ केस बनता है या नहीं.
दूसरी ओर इसी आदेश में कोर्ट ने कह दिया है कि चूंकि तीस्ता ने एफआईआर या चार्जशीट को रद्द करने के लिए किसी कोर्ट का रुख नहीं किया है , लिहाजा वो ये दलील नहीं दे सकती कि उनके खिलाफ मामला ही नहीं बनता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का ये निष्कर्ष, ग़लत और विरोधभासी है. अगर इस आधार को मान लिया जाए तो ऐसी सूरत में कोई भी ज़मानत की याचिका तब तक स्वीकार ही नहीं होगी, जब तक कि आरोपी अपने खिलाफ कार्रवाई को चुनौती नहीं देता.
तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप
तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उसने तत्कालीन नरेन्द्र मोदी की सरकार में उच्च पदस्थ लोगों को फंसाने के लिए झूठे सबूत गढ़े और गवाहो से झूठे बयान दिलवाए. पिछले साल 24 जून को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों ने गुजरात दंगो में सरकार को बदनाम करने की साजिश रची, उन्हें इसका नतीजा भुगतना चाहिए.
इस फैसले के 1 दिन बाद ही पुलिस ने तीस्ता को हिरासत में ले लिया. सितम्बर में तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम ज़मानत मिल गई. इसके बाद 1 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की ज़मानत अर्जी खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने तीस्ता को कोई राहत न देते हुए तत्काल सरेंडर करने का आदेश दिया था.
इस आदेश के तुंरत बाद तीस्ता ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने पहले तीस्ता को 1 हफ्ते की अंतरिम राहत दी , बाद में इस अंतरिम ज़मानत को 19 जुलाई तक बढ़ा दिया. आज सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते तीस्ता को नियमित ज़मानत दे दी.