Sweets: कई लोग ये भी सोचते हैं कि घर में बनी मिठाइयां शुद्ध होती हैं. वो स्वास्थ के लिए ठीक होती हैं, और यही नहीं उसमें मिलावट का नामो निशान नहीं होता. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आज हम अपने एक Sting Opration में, आपका ये भ्रम दूर कर देंगे.
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Festival: त्योहारों के सीजन में कुछ मीठा खाने और खिलाने की परंपरा, हमारे देश में वर्षों से रही है. आपको भी त्योहारों में अलग-अलग तरह की मिठाइयां खाने की Craving होती होगी. ज्यादातर भारतीय घरों में अलग-अलग मिठाइयां बनाने का प्रचलन है. जिनके घरों में मिठाइयां नहीं बनती हैं, वो बाजार से मिठाइयां लाते हैं. खुद का या फिर मेहमानों का मुंह मीठा करने के लिए घर में मिठाइयां होना, त्योहार के सीज़न में जरूरी होता है. यही तो हमारी परंपरा है.
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लेकिन इस परंपरा में पिछले कई वर्षों से जहर घोला जा रहा है. हम DNA में भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. हमने कई बार दिखाया है कि बाजारों में मिलने वाली मिठाइयों में कितने बड़े पैमाने पर मिलावट होती है. Market में मिलने वाली हर मिठाई, शुद्ध होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है.
त्योहार के सीज़न में मिलावटी मिठाइयों की खबरें आने के बाद, कई बार लोगों को बाजार की मिठाइयों पर भरोसा नहीं रहता है. वो सोचते हैं कि बाजार की मिठाइयां खाने से बेहतर है, घर में बनी मिठाइयां खाई जाएं. कई लोग ये भी सोचते हैं कि घर में बनी मिठाइयां शुद्ध होती हैं. वो स्वास्थ के लिए ठीक होती हैं, और यही नहीं उसमें मिलावट का नामो निशान नहीं होता.
अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आज हम अपने एक Sting Opration में, आपका ये भ्रम दूर कर देंगे. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि देश में बनने वाले ज्यादातर मिठाइयों में जो Raw Product होता है, आज हम उसमें होने वाली जहरीली मिलावट से जुड़ी खबर लेकर आए हैं. ज्यादातर मिठाइय़ों को बनाने के लिए Milk Product की जरूरत होती है. खासतौर से मिठाइयां बनाने में दूध से बने मावे का इस्तेमाल किया जाता है. सोचिए आप अपने घर में अगर नकली मावा ही लेकर आ गए हों, तो उसके बाद आप चाहे उससे कितनी भी शुद्ध मिठाई बनाने की कोशिश करेंगे, वो जहरीली ही रहेगी.
यानी मिठाई का सबसे Basic Product ही अगर नकली हो तो मिठाई असली कैसे बनेगी? तो बाजार की मिठाई से ऊब कर घर में ही शुद्ध मिठाई बनाकर खाने वाले लोगों को, आज का हमारा ये Sting Opration जरूर देखना चाहिए. यही नहीं, बाजार से मिठाई खरीदने वाले, या अपने इलाके के Best हलवाई से मिठाई लेने वालों को भी आज हमारी ये खबर जरूर देखनी चाहिए.
रिपोर्टर-
आप का क्या सीन है। किसी ने र****** भाई का नंबर दिया था. नोएडा से पिछली बार उन्होंने पनीर की सप्लाई करवाई थी.
उन्होंने कहा कि मैं ही दे देता हूं, तो मैंने उनसे कहा कि में बंदे से ही मिलवा दीजिए, फिर उन्होंने आपका नंबर दिया.
नसीम-
कितना मावा चाहिए आपको?
रिपोर्टर-
आज क्या तारीख है?
नसीम-
तारीख तो आज पांच है।
रिपोर्टर-
पांच है ना, दीपावली कब की है 12 की, तो 10 तारीख तक 4 से 5 क्विंटल चाहिए।
नसीम-
रोज़ कितना चाहिए?
रिपोर्टर-
आप जितना दे सको।
नसीम-
माल कैसा चाहिए?
रिपोर्टर-
माल ऐसा हो जिसमें दो पैसा बचे या फिर जो आप बना रहे हो।
नसीम- एक तो पूरे का होता है, एक आधे-आधे का होता है। एक निखालिश होता है।
रिपोर्टर- निखालिश में क्या होता है?
नसीम- निखालिश में सिर्फ पाउडर होता है।
रिपोर्टर- कुछ सैंपल रखे हैं आप अभी?
नसीम- नही....
3 तरह के नकली मावे को बाजार में बेचकर, लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. इस बातचीत से हमें ये पता चल गया कि मिलावट के ग्रेड तय किए गए हैं, जिसमें पहले ग्रेड का नकली मावा, धीमें नुकसान पहुंचाएगा, दूसरे ग्रेड का मावा तेजी से नुकसान पहुंचाएगा, और तीसरे ग्रेड का नकली वाला तुरंत बीमार कर देगा.
रिपोर्टर-
Pure का क्या रेट है?
नसीम- Pure का 280....
रिपोर्टर- और जो बीच का है वो?
नसीम- 250
रिपोर्टर- पूरे का 280, और बीच का 250 रुपए?
नसीम- हां
रिपोर्टर-
और क्या बता रहे हैं निखालिश?
नसीम-
निखालिस, जो सिर्फ पाउडर का होता है, वो 220 रुपये... लेकिन वो सही नही रहता है।
रिपोर्टर- क्या दिक्कत है उसमें...
नसीम- दिक्कत ही मान लो, सही मिठाई नहीं बनता है। आधे-आधे का तो ठीक है, मीडियम है कि आधा दूध आधा पाउडर।
इसमें ना आपको दिक्कत आएगी, ना हमको दिक्कत आएगी, आधे आधे वाले में...
रिपोर्टर-
और क्या-क्या मिला रहे हो बीच वाले में अभी।
नसीम-
बीच वाले में नेचर फ्रेश का डालडा (वनस्पति घी) लगेगा, पाउडर लगेगा।
रिपोर्टर- आराम से बोलो, आप लोग लोकल भाषा बोलते हैं ना, लोकल भाषा हम लोगों को समझ में नहीं आता है.
नसीम- एक तो वनस्पति घी लगेगा, नेचर फ्रेश वाला डालडा जो होता है।
रिपोर्टर- मतलब की नेचर फ्रेश वाला डालडा (वनस्पति घी)?
नसीम- हां, नेचर फ्रेश का डालडा (वनस्पति घी)...और पाउडर लगेगा, और आधा दूध, इससे बढ़िया माल तैयार हो जाएगा, इसकी आप टेंशन मत लीजिए।
रिपोर्टर- और जो थर्ड क्लास का बता रहे हैं।
नसीम- थर्ड क्लास वाले में दिक्कत आ जाती है।
रिपोर्टर- उसमें क्या डालते हैं?
नसीम- उसमें डालते कुछ नहीं हैं, पाउडर और नेचर फ्रेश का डालडा (वनस्पति घी) होगा।
रिपोर्टर- पाउडर मतलब मिल्क पाउडर?
नसीम- हां
रिपोर्टर- और क्या होगा?
नसीब- नेचर फ्रेश
रिपोर्टर- नेचर फ्रेश, ये क्या होता है?
नसीम- डालडा (वनस्पति घी)
मावा बनाने का शुद्ध फॉर्मूल दूध होता है। लेकिन त्योहार के सीज़न में जब मिठाई की डिमांड बढ़ जाती है तो मावा बनाने में वनस्पति घी, मिल्क पाउडर के अलावा और भी बहुत कुछ मिलाया जाता है। हमने नकली मावे का प्रॉसेस भी देखा.
रिपोर्टर- तो फाइनल रेट बताइए आप हमको क्या देंगे?
नसीम- पहले आप तय करें कि आप कौन सा लेंगे।
रिपोर्टर- मान लीजिए जो आपका बीच वाला है, थोड़ा वो भी ले लेते हैं क्योंकि Pure का तो भाव बहुत महंगा है।
और Pure आप दे भी नहीं पाएंगे। इतना दूध ही नहीं मिलेगा आपको।
नसीम- दूध तो हमारे यहां बहुत है।
रिपोर्टर- भारत में इतना दूध ही कहां है।
नसीम- हमारे गांव में इतना दूध है कि कई गांवों को मिलकर भी उतना दूध नहीं होता होगा। एक-एक के पास ढाई-ढाई सौ भैंस हैं, कई हजार भैंस है हमारे यहां गांव में।
नसीम- आप बीच वाला ले लो।
रिपोर्टर- बीच वाला ले लेते हैं ज्यादा आप बीच वाला ही बनाते हैं ना?
नसीम- हां.
रिपोर्टर-
तो बीच वाले में कितना Pure होता है, और कितना मिलाते हैं उसमें?
नसीम- 50-50%
रिपोर्टर- जैसे मान लीजिए कि एक क्विंटल बनाना है।
नसीम- 1 क्विंटल बनाना है तो 50 किलो Pure और 50 किलो पाउडर।
रिपोर्टर- और उसमें डालडा (वनस्पति घी) कितना डालते हैं।
नसीम- पाउडर के हिसाब से नहीं मिलाएंगे, तो रसगुल्ले नहीं बन पाएगा...
मावा बनाने का ये सारा काम, रात के वक्त किया जाता है। ताकि मिलावट के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी ना हो। हमने दोपहर में नसीम से बात की थी, इसके बाद शाम को हम मावा बनते देखने के लिए पहुंचे
रिपोर्टर-
इसमें लगभग कितने लीटर दूध आ जाता है
नसीम- 6 से 7 लीटर...
रिपोर्टर-
कितना टाइम लगता है?
नसीम- करीब 20 मिनट लग जाता है
रिपोर्टर- 7 से 8 लीटर दूध में?
नसीम- हां, Pure बनाने में बहुत टाइम लग जाता है...
रिपोर्टर- ये तैयार हो गया?
नसीम- हां... तैयार हो गया...
(03:42)
11:50
रिपोर्टर-
मान लीजिए, हमें 5 क्विंटल माल चाहिए, उसमें कितना दूध लगेगा आपको, जो 50-50 वाला है?
नसीम- 5 क्विंटल में लगेगा 10 क्विंटल दूध।
रिपोर्टर- और उसमें मिल्क पाउडर कितना मिलाएंगे?
नसीम- आधा वो मिलेगा
रिपोर्टर- आधा मतलब कि 5 क्विंटल?
नसीम- नहीं ढाई क्विंटल लगेगा।
रिपोर्टर- उसमें डालडा कितना डालेंगे।
नसीम- डालडा लगेगा तीन में एक।
रिपोर्टर- 3 क्विंटल में या किलो में?
नसीम- 3 किलो मावे में 1 लीटर।
रिपोर्टर- 1 लीटर डालडा (वनस्पति घी)?
नसीम- हां
(12:45)))
अपनी आंखों के सामने मावा बनाने में हो रही मिलावट होते देख रहे थे. हमने इस मिलावटी मावे पर, इन लोगों से ये भी पूछा कि ये कितना खतरनाक हो सकता है. एक कहावत है कि हलवाई अपने दुकान की खराब मिठाई को भी बेस्ट बताता है, उसी तरह इन्होंने भी मिलावटी मावे के बारे में कुछ ऐसा ही कहा.
रिपोर्टर- ज्यादा नुकसान तो नहीं करता ना?
नसीम- कोई नुकसान नहीं करता है, बढ़िया है
रिपोर्टर- ऐसा नहीं कि हम अपने स्टाफ को बांट दिया फिर..
नसीम- नहीं नहीं एकदम नहीं, कोई भी खाए कोई नुकसान नहीं। इसीलिए मैंने निखालिश के लिए मना कर दिया था, जो आप कह रहे थे, ये जो मीडियम होता है बीच का, ये कोई दिक्कत नहीं करता।
रिपोर्टर- टेस्ट में पता चलता होगा ना?
नसीम- एकदम नहीं पता लगेगा।
रिपोर्टर- नहीं निखालिश वाला पता चलता होगा ना?
नसीम- रोज़ खाओगे तो पता चलेगा, थोड़ा बहुत मिठाई बनाने में पता नहीं चलेगा।
रिपोर्टर- मतलब कि पहले सप्लाई आपने किया हुआ है इस तरह का।
नसीम- हां, खूब...
रिपोर्टर- निखालिश वाला मार्केट में सप्लाई होता है।
नसीम- हमसे जो जैसा मांगता है वैसा देते हैं
रिपोर्टर- ऑर्डर पर बनाते हैं आप लोग?
नसीम- हां...
रिपोर्टर- मार्केट में जाता है ये वाला?
नसीम- हां जाता है खूब... शादी वगैरह में ज्यादा यही जाता है
रिपोर्टर- कौन सा वाला?
नसीम- मीडियम वाला
रिपोर्टर- पेट तो खराब नहीं होगा ना इससे?
नसीम- कुछ नहीं होगा, कुछ नहीं होता है। कुछ पता नहीं चलता है।
रिपोर्टर- इसमें अरारोट भी डालते हो ना थोड़ा सा?
नसीम- नहीं अरारोट नहीं डालते।
रिपोर्टर- इसमें थोड़ा सा चूना पानी भी तो डालते हैं?
नसीम- चूना नहीं डालते हैं वो सोडा डालते हैं।
(14:44)
15:25
रिपोर्टर-
क्या नाम बताया था आपने कौन सा डालडा (वनस्पति घी) मिलाते हैं?
नसीम- नेचर फ्रेश
रिपोर्टर- नेचर फ्रेश, ये तो रिफाइन्ड होता है ना?
नसीम- नहीं नहीं डिफाइन्ड कुछ और होता है, रिफाइंड होता है फॉर्च्यून...(दूसरे से बोलते हुए) अरे लाकर दिखा देना
रिपोर्टर- अच्छा मंगाए हुए हैं
नसीम- हां...
रिपोर्टर- ये है। ये क्या होता है.. डालडा (वनस्पति घी) है ये?
नसीम- हां
रिपोर्टर- इससे कोई नुकसान तो नहीं है ना?
नसीम- कोई नुकसान नहीं है।
रिपोर्टर- ये 1 लीटर है या 1 किलो है।
नसीम- ये 900 ग्राम है।
रिपोर्टर-
तो कितने लीटर दूध के लिए, इसे मिलाएंगे मिल्क पाउडर में?
नसीम- 5 लीटर दूध में
रिपोर्टर- तो उससे कितना मावा बन जाएगा।
नसीम- 3 किलो...
रिपोर्टर- मैं तो सोच रहा हूं कि इससे हमारा स्टाफ बीमार ना पड़ जाए।
नसीम- नहीं भाई ऐसा कुछ नही है। कोई बीमार नहीं पड़ेगा। किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी।
नकली मावे को लेकर इसे बनाने वाले इतने ज्यादा CONFIDENT हैं कि उनका दावा है कि इस मावे में मिलावट तो कारीगर भी पहचान नहीं पाते।
रिपोर्टर-
मैंने सुना कि गांव में ज्यादातर घर में मावा बनाने का ही काम होता है?
नसीम-
हां लेकिन अब कम हो गया है, अब तो 10-11 घरों में ही बन रहा है।
रिपोर्टर-
मार्केट में तो सबसे ज्यादा डिमांड 50-50 वाले का ही होता होगा?
नसीम- हां, 50 वाला ज्यादा है क्योंकि एक तो ये सस्ता पड़ जाता है, और क्वालिटी अच्छी निकलती है।
रिपोर्टर- क्या
नसीम का सहयोगी- अच्छा माल है 50 वाला, बढ़िया लगता है, ये अच्छी मिठाई बनाता है, कारीगर फेल नही कर सकता है इसे।
नसीम- इससे माल अच्छा बनता है। गुलाब जामुन इससे इतना अच्छा बनेगा कि घी से भी उतना अच्छा नहीं बन पाएगा।
रिपोर्टर- कारण क्या है इसका?
नसीम- मालूम नही
रिपोर्टर- फैट ज्यादा होता होगा ना इसमें।
नसीम- हां... ज्यादा फैट से बढ़िया बनता है... मोटा फूलेगा अच्छा बनेगा। Pure फूलने में दिक्कत करता है, फट भी जाता है। ज्यादातर माल यही चलता है शादी में हलवाई यही ले जाते हैं.
मावे बनाने के प्रॉसेस के दौरान, हम एक और जगह पहुंचे, जहां मावा बनाया जा रहा था। एक समय ऐसा आया, जब असली और नकली मावे में पहचान करना, हमारे लिए भी मुश्किल हो गया। हमने दोनों मावे के टेस्ट भी किया,कोई फर्क नहीं था। लेकिन हम जानते थे कि ये दोनों ही नकली हैं।
रिपोर्टर-
लो ये देखो ये वही है ना फॉर्च्यून... नहीं फॉर्च्यून नहीं कुछ और है ये... नेचर फ्रेश ही है।
इसरार- नेचर फ्रेश..
रिपोर्टर- इतने सारे में सिर्फ एक ही पैकेट मिलाया?
इसरार- हां बस थोड़ा बहुत...
रिपोर्टर- इसमें कितना लीटर दूध डाला होगा। मतलब कि इस पूरे में एक थैली क्या है?
इसरार- इस पूरे में दो थैली गया है।
रिपोर्टर- अच्छा...
इसरार- ये अलग जाता है, वो अलग जाता है..
रिपोर्टर-
अच्छा ये अलग अलग बना हुआ है
रिपोर्टर- देखो कलर में अंतर है...ये पीला है और वो व्हाइट है...
इसरार- ये अलग जाएगा वो अलग जाएगा...
रिपोर्टर- आप लोगों का क्या भाव है भाई
इसरार- सेम भाव
रिपोर्टर- दोनों का सेम रेट है?
इसरार- हां। ये वाला खा कर देखो...
रिपोर्टर- ये Pure है
इसरार- हां ये Pure है
रिपोर्टर- और ये डालडा (वनस्पति घी) वाला...
इसरार- हां..
रिपोर्टर- ये वाला खा कर देखो...
नसीम- ये वही वाला है 50/50 वाला..
इसरार- कोई दिक्कत नहीं है..
रिपोर्टर- खा कर देखो जरा sir...
इसरार- कोई दिक्कत नही होती है इसे सारी दुनिया खा रही है...
रिपोर्टर-
ये जो खिलाया वो Pure हो गया... जो डालडा (वनस्पति घी) मिला कर बनाया है.. उसे दिखाओ...
रिपोर्टर- अंतर है... एक ऑयल टच हो रहा है और दूसरे में नहीं..
रिपोर्टर- ये अभी जो आपने मुझे खिलाया वो Pure है, और जो 50 प्रतिशत वाला है ना, जिसमें डालडा (वनस्पति घी) मिलाते हैं...वो खिलाइए
(खाने के बाद) टेस्ट में थोड़ा अंतर है
इसरार- थोड़ा सा अंतर रहता है, लेकिन मिठाई बनने के बाद कुछ पता नहीं चलेगा। मिठाई बनने के बाद कुछ भी पता नहीं चलेगा।
नकली मावा बनाने वालों का दावा गलत नहीं था। इस मावे को खाने से, बिल्कुल पता नहीं चलता कि ये नकली है। इस मावे से चाहे छोटे मोटे हलवाई मिठाई बनाएं, या फिर बड़ी कंपनियों को शेफ इससे मिठाई बनाएं, वो भी इसमें फर्क नहीं कर पाएंगे। तो अगर आप मिठाई चाहे बाजार से खरीदते हों, या फिर घर पर ही मावा लाकर मिटाई बनाते हों, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वो मावा