क्या हिंदू भी कर सकते हैं मक्का-मदीना में कारोबार? यहां जानिए जवाब
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क्या हिंदू भी कर सकते हैं मक्का-मदीना में कारोबार? यहां जानिए जवाब

Foreign Investment in Makkah, Madinah: क्या हिंदू मक्का-मदीना में जमीन खरीद सकते हैं? क्या हिंदू मक्का-मदीना में बिजनेस कर सकते हैं? ये दो सवाल इसलिए क्योंकि सऊदी सरकार ने एक नया फैसला लेते हुए विदेशी मूल के लोगों को कुछ शर्तों के साथ मक्का-मदीना में बिजनेस करने की इजाजत दी है.

क्या हिंदू भी कर सकते हैं मक्का-मदीना में कारोबार? यहां जानिए जवाब

Makkah, Madinah news: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने रियल एस्टेट कारोबार में पैसा लगाने के लिए विदेशी कंपनियों को इजाजत दी है. यह फैसला MBS ने अपने 'विजन 2030' के तहत लिया. जनवरी 2015 में MBS, क्राउन प्रिंस बने तो उन्होंने अगले 15 सालों में सऊदी की ऑयल बेस्ड इकॉनमी को अन्य सेक्टर्स/दूसरे बिजनेस पिलर पर शिफ्ट करने का फैसला किया था. एक इस्लामिक देश के सख्त नियमों की वजह से ये सब आसान नहीं था, पर धुन और इरादों के पक्के MBS अब पूरी ताकत से अपना मकसद पूरा करने की दिशा में जुटे हैं. 

मजबूत इकॉनमी का एक दशक

21वीं सदी की शुरुआत के डेढ़ दशक यानी 2015 तक सऊदी अरब की पहचान मुस्लिमों के पवित्र धार्मिक स्थल मक्का-मदीना और तेल संपदा से भरपूर धनवान देश के रूप में थी. वहां के कानून सख्त थे, विदेशियों को उनका पालन करने में दिक्कत होती थी. गलती पर कड़ी सजा मिलती थी. लिहाजा ऐसे देश जहां विदेशी रईस अपनी सुविधा के मुताबिक जिंदगी न जी सकते हों, वहां की इकॉनमी को नए पिलर पर ले जाना आसान न था. 

जनवरी 2015 में कमान संभालने वाले क्राउन प्रिंस ने देश में कई सकारात्मक बदलाव किए हैं, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा सऊदी अरब के ऊपर बढ़ा है.

क्या हिंदू कर सकेंगे मक्का-मदीना में कारोबार?

हिंदुओं का मक्का-मदीना में जाना वर्जित है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विजन 2030 के तहत सऊदी सरकार के हालिया फैसला लागू होने के बाद क्या हिंदू अब मक्का-मदीना में कारोबार कर सकेंगे? दरअसल सऊदी के नियम सख्त हैं इसलिए विदेशी लोग अक्सर सऊदी अरब जाने में कतराते थे. नए कानून के मुताबिक दूसरे देशों के लोग अब पवित्र मक्का और मदीना में रियल एस्टेट (स्थिर संपत्ति) का कारोबार कर सकते हैं.

 

मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक कैपिटल अथॉरिटी के ऐलान में इस बात पर फोकस किया गया है कि दूसरे देशों के लोग कारोबार करते हुए कानून के मुताबिक काम करेंगे. बेंच मार्क रूल की बात करें तो मक्का और मदीना में विदेशी मूल के लोग और विदेशी संस्थान कंपनी के कुल शेयरों में 49 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकेंगी.

कैपिटल मार्केट अथॉरिटी के एक बयान के मुताबिक, इस स्कीम में विदेशी निवेशक सऊदी स्टॉक एक्सचेंज में जिन फर्मों का नाम दर्ज है उनमें शेयर खरीद सकते हैं. इसी के साथ निवेशकों को मक्का और मदीना तक ही सीमित फर्म में निवेश करने की आजादी है.

28 जनवरी से मक्का और मदीना में विदेशियों को प्राइवेट या पब्लिक प्रोपर्टी वाली फर्म में शेयर और परिवर्तनीय डेब्ट इंस्ट्रूमेंट खरीदने की इजाजत मिल गई है. हालांकि, जहां गैर-मुस्लिम सऊदी में अब रियल एस्टेट में निवेश कर सकते हैं. वहीं, वो अभी भी सीधे तौर पर देश में संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं.

नए कानून के तहत विदेशी निवेशकों को सऊदी फाइनेंशियल मार्केट रजिस्टर्ड सऊदी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने की इजाजत दी जाएगी. माना जा रहा है इस फैसले से सऊदी के रियल एस्टेट (स्थिर संपत्ति) सेक्टर में बूम आएगा. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि सऊदी में आने वाले समय में निवेशकों को और ज्यादा अच्छे ऑफर दिए जा सकते हैं. जिसके बाद ही अधिकारिक पुष्टि हो पाएगी कि मक्का-मदीना में हिंदू प्रत्यक्ष रूप से कारोबार कर सकेंगे या नहीं.

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ड्रीम प्रोजेक्ट्स

क्राउन प्रिंस यानी एमबीएस के ड्रीम प्रोजेक्ट्स की बात करें तो वो चाहते हैं कि सऊदी में ज्यादा से ज्यादा सैलानी आएं. इसके लिए MBS ने तय किया है कि बिजनेस एनवायरमेंट में सुधार करने के लिए जरूरी बदलाव करेंगे.

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