इंदौर बना 'कश्‍मीर'! घर के कमरे में बिना मिट्टी के उग रहा केसर
Advertisement
trendingNow12508263

इंदौर बना 'कश्‍मीर'! घर के कमरे में बिना मिट्टी के उग रहा केसर

Saffron farming in Indore: कश्‍मीर की खूबसूरत वादियां केसर की खेती के लिए भी बेहद मशहूर हैं. लेकिन अब एक किसान ने ऐसा जुगाड़ निकाला है कि घर के कमरे के अंदर लाखों की केसर उगा रहा है.

इंदौर बना 'कश्‍मीर'! घर के कमरे में बिना मिट्टी के उग रहा केसर

Saffron farming at Home: भारत में केसर का उत्‍पादन प्रमुख तौर पर कश्‍मीर में होता है क्‍योंकि केसर के लिए जरूरी जलवायु यहीं पाई जाती है. साथ ही कश्‍मीर की मिट्टी भी केसर की पैदावार के लिए मुफीद होती है. लेकिन क्‍या हो हाड़ कंपा देने वाली कश्‍मीर की सर्दी से सैंकड़ों किलोमीटर दूर गरम माने जाने वाले राज्‍य मध्‍यप्रदेश के घर के कमरे में केसर उगाई जाए.

यह भी पढ़ें: 30 करोड़ सैलरी, फिर भी लोग नहीं करना चाहते ये नौकरी, सिर्फ स्विच ऑन-ऑफ करना है काम!

इंदौर में किसान ने घर में उगाई केसर

इंदौर के एक प्रगतिशील किसान 'एयरोपॉनिक्स' पद्धति की मदद से अपने घर के कमरे में केसर की खेती कर रहा है. इसके साथ ही एक और कमाल की बात यह है कि किसान ने केसर की यह खेती बिना मिट्टी के की है. केसर का उत्‍पादन कर रहे अनिल जायसवाल ने अपने घर की दूसरी मंजिल के कमरे में केसर उगाई है.

यह भी पढ़ें: ब्रेस्‍टमिल्‍क को लेकर महिला ने बनाया ऐसा गिनीज वर्ल्‍ड रिकॉर्ड, जिसकी कल्‍पना करना भी मुश्किल!

बैंगनी फूलों की बहार

केसर के फूल बैंगनी रंग के होते हैं और फिर उसके अंदर से केसर के रेशे निकलते हैं. अनिल जायसवाल के घर की दूसरी मंजिल पर इस समय इन बैंगनी रंग के खूबसूरत फूलों की बहार छाई हुई है. कंट्रोल्‍ड ट्रेम्‍प्रेचर वाले इस कमरे में केसर के पौधे प्लास्टिक की ट्रे में रखे गए हैं. ये ट्रे खड़ी रैक में रखी गई हैं ताकि जगह का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके.

यह भी पढ़ें: दुनिया की सबसे खूबसूरत मानी गई इस महिला में आखिर ऐसा क्‍या है?

कश्‍मीर ट्रिप से आया केसर उगाने का आइडिया

केसर उत्पादक अनिल जायसवाल ने बताया कि वह कुछ साल पहले अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गए थे. वहां पम्पोर में केसर के खेत देखकर उन्‍हें भी केसर की पैदावार करने का आइडिया आया. तब उन्‍होंने अपने घर के कमरे में केसर उगाने के लिए 'एयरोपॉनिक्स' तकनीक के उन्नत उपकरणों से तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का नियंत्रित वातावरण तैयार किया, ताकि केसर के पौधों को कश्मीर जैसी मुफीद आबो-हवा मिल सके.

करीब 2 किलोग्राम केसर मिलेगी

अनिल जायसवाल ने बताया कि 320 वर्ग फुट के कमरे में केसर की खेती का बुनियादी ढांचा तैयार करने में उन्हें करीब 6.50 लाख रुपये की लागत आई. फिर केसर के बीज (बल्ब) कश्मीर के पम्पोर से मंगवाए. अब उन्‍हें उम्‍मीद है कि इस मौसम में उन्‍हें फूलों से करीब 1.50 से 2 किलोग्राम केसर मिल सकती है.

सितंबर से की शुरुआत

अनिल जायसवाल ने बताया, 'मैंने अपने घर के कमरे के नियंत्रित वातावरण में केसर के ये बल्ब सितंबर के पहले हफ्ते में रखे थे और अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से इन पर फूल खिलने लगे.' केसर के पौधों की जरूरी देखभाल करने के साथ-साथ इस कमरे में गायत्री मंत्र और पक्षियों की चहचहाहट वाला संगीत भी चलता है. अनिल जायसवाल की पत्‍नी कल्पना कहती हैं, 'पेड़-पौधों में भी जान होती है. हम केसर के पौधों को संगीत सुनाते हैं ताकि बंद कमरे में रहने के बावजूद उन्हें महसूस हो कि वे प्रकृति के नजदीक हैं.'

बता दें कि केसर, दुनिया के सबसे महंगे मसालों में एक है और अपनी ऊंची कीमत के लिए इसे ‘‘लाल सोना’’ भी कहा जाता है. इसका इस्तेमाल भोजन के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों और दवाओं में भी किया जाता है. भारत में केसर की बड़ी मांग है लेकिन इसके मुकाबले इसका उत्पादन काफी कम होता है. इसके चलते भारत को ईरान और दूसरे देशों से इसका आयात करना पड़ता है. (भाषा)

 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news